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छत्तीसगढ़: आंबेडकर अस्पताल बन रहा कोरोना ‘हॉट स्पॉट’, दूसरे अस्पतालों में भी खतरा क्योंकि नहीं कर रहे नियम पालन

locationरायपुरPublished: May 30, 2020 08:33:30 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

‘पत्रिका’ को सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर और नर्सों ने बताया कि वे पूरी ईमानदारी से काम कर रहे हैं। जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं। मगर, उन्हें इसके एवज में कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं हो रहा। 50 लाख का बीमा भी केंद्र सरकार द्वारा किया गया है। ठीक है शासन-प्रशासन, सरकार कुछ न दे मगर हमारा हौसला तो बढ़ा सकते हैं। जो आज तक किसी मंत्री-अफसर ने नहीं किया।

रायपुर. प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रहा है, जो सरकार के लिए चिंता का सबसे बड़ा विषय बना हुआ है। मगर, अब कोरोना वायरस की आमद अस्पतालों तक में हो चुकी है। जो और भी बड़ी चिंता का कारण बना गया है। आंबेडकर अस्पताल की नर्स और सफाईकर्मी तो संक्रमित पाए ही गईं, कोरोना वायरस ने कांकेर में आयुष डॉक्टर और बिलासपुर में मरीजों का इलाज करते हुए सिम्स बिलासपुर की जूनियर डॉक्टर को भी अपना शिकार बना लिया। जब अस्पताल और अस्पताल के स्टॉफ ही सुरक्षित नहीं होंगे तो सोचिए क्या हालात होंगे ।

‘पत्रिका, पड़ताल में सामने आया कि इसमें लापरवाही अस्पताल संचालकों-प्रबंधकों के साथ-साथ स्टॉफ की भी है। सरकारी हों या निजी, दोनों ही अस्पतालों में किसी की भी आवाजाही पर रोक नहीं है। अधिकांश अस्पतालों में थर्मल स्क्रीनिंग तक नहीं की जा रही, जो बेहद आसान है। ऐसे में संक्रमित मरीज अस्पताल में दाखिल होकर कईयों को संक्रमित कर सकता है। ऐसे दो मामले राजधानी रायपुर में ही सामने आ चुके हैं।

एक आंबेडकर अस्पताल का है, तो दूसरा निजी अस्पताल का। निजी अस्पताल में भर्ती मरीज की तो मौत तक हो गई। इन मरीजों को सामान्य मरीजों से अलग नहीं रखा गया, न ही स्टॉफ ने कोविड१९ गाइडलाइन का पूरा-पूरा पालन किया। इन घटनाओं के बाद स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारिक ने सभी अस्पतालों को निर्देशित किया है कि वे गाइडलाइन का पालन करें, करवाएं।

मॉस्क, पीपीई किट नहीं

सूत्रों के मुताबिक सरकारी और निजी अस्पतालों में एन95 मॉस्क और पीपीई किट की भारी कमी है। मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टरों के इस्तीफे की एक यह भी वजह थी। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन (सीजीएमएससी) इन जरूरी सामग्री की खरीदी के लिए टेंडर-टेंडर खेल रही है तो निजी अस्पतालों को यह महंगा पड़ रहा है। इसे लेकर आईएमए और हॉस्पिटल बोर्ड स्वास्थ्य मंत्री से मिल भी चुका है।

अस्पताल वाले नहीं दे रहे संदिग्ध मरीजों की जानकारी

स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कहा गया है कि निजी अस्पतालों में सर्दी, जुकाम, खांसी और निमोनिया के मरीज भर्ती हो रहे हैं। मगर, उनकी जानकारी विभाग तक नहीं पहुंच रही। अगर, पहुंचे तो तत्काल उनके सैंपल लेकर जांच करवाई जाएगी। उन्हें कोविड१९ हॉस्पिटल में भर्ती करवाया जाएगा। शुक्रवार को बिरगांव के जिस मरीज की निजी अस्पताल में मौत हुई, उसकी जानकारी भी मरीज की मौत के बाद विभाग को दी गई। फिर सैंपलिंग हुई और रिपोर्ट पॉजिटिव आई।

माना हाउसफुल तो आंबेडकर अस्पताल में आएंगे कोरोना मरीज

माना में 84 कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज जारी है, यहां के कोविड-19 हॉस्पिटल में 100 आईसोलेशन बेड की ही व्यवस्था है। एम्स में भी 78 मरीज भर्ती हैं। अगर, मरीज बढ़ते हैं अब सीधे आंबेडकर अस्पताल में तैयार किए गए कोविड१९ वार्ड में मरीजों को लाया जाएगा। इस लिहाज से यहां सर्तकता बरतना बेहद जरूरी है। बीते दिनों सड्डू के संक्रमित मरीजों को सामान्य आईसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया था, और उसका उपचार भी सामान्य मरीजों की भांति किया गया। स्थिति यह थी कि इसके संपर्क में आने वाली एक नर्स संक्रमित पाई गई। तीन डॉक्टर समेत आठ स्टॉफ क्वारंटाइन किए गए।

अस्पतालों का स्टॉफ कहीं भी सुरक्षित नहीं है। सरकारी और निजी अस्पताल दोनों को स्टॉफ की सुरक्षा के लिए तय किए गए प्रोटोकॉल का पालन करना जरूरी है जो नहीं हो रहा है। यह गंभीर चूक है। सभी अस्पताल के लिए गाइडलाइन एक जैसी ही होनी चाहिए। भेदभाव नहीं होना चाहिए।

-डॉ. राकेश गुप्ता, अध्यक्ष, हॉस्पिटल बोर्ड

अस्पताल के हर एक स्टॉफ को कोविड-19 को लेकर विशेष प्रशिक्षण दिलवाया गया है कि कैसे सेवाएं देनी है। हर व्यक्ति को निजी तौर पर भी अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। जैसे आपने कहा और वैसे भी हम एक कमेटी प्लान कर रहे हैं, जो लगातार फ्रंट लाइन स्टॉफ पर निगरानी रखेगी।
-डॉ. विनीत जैन, अधीक्षक, डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल

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