अगर 17 अक्टूबर 2020 को नामांकन पत्रों की छानबीन के दौरान मुख्यमंत्री के इशारे पर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे जिला निर्वाचन अधिकारी डोमन सिंह के द्वारा मेरी या मेरी पत्नी का नामांकन पत्र निरस्त किया जाता है तो मैं तत्काल उपचुनाव की पूरी प्रक्रिया को रद्द करवाने तथा सभी दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्यवाही के लिए न्यायालय की शरण में जाऊंगा और छत्तीसगढ़ की ढाई करोड़ जनता की अदालत में भी।
पूर्व मंत्री दयालदास दोबारा संक्रमित, अब तक 19 लोगों पर हुआ वायरस का डबल अटैक मैं अपने पिता के स्वर्गवास के बाद मेरे परिवार के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार को लेकर उनसे न्याय मांगने जाऊंगा। अमित जोगी ने कहा, सरकार बहुत बड़ी गलतफहमी है कि मेरे पिता के स्वर्गवास के बाद मैं अनाथ और असहाय हो गया हूं। मेरे सिर पर मरवाही के ढाई लाख लोगों के पांच लाख हाथों का आशीर्वाद है और इसी डर से सरकार ने वहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
अमित जोगी ने जानकारी दी कि उनके द्वारा सर्वोच्च न्यायलय में लगाई गई याचिका पर रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के समक्ष प्रारम्भिक सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार, प्रदेश छानबीन समिति, जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति और कलेक्टर के द्वारा शीघ्र सुनवाई करने के विरुद्ध चार अलग-अलग आपत्ति आनन-फानन दर्ज की गई है।
कोरोना संक्रमित कम मिलने से कोविड सेंटर हो रहे बंद, होम आइसोलेशन फॉर्मूला सफल अमित जोगी ने कहा, चूंकि मुझे अब तक राज्य छानबीन समिति के द्वारा ना तो सुनवाई का मौका दिया गया है और ना तो मेरे जाति प्रमाण पत्र को निरस्त किया गया है, इसलिए मैं वैधानिक रूप से मरवाही विधानसभा में चुनाव लड़ने का पूरा अधिकार रखता हूँ। वैसे भी मेरे पिता जी के जाति प्रमाण निरस्त करने के भूपेश सरकार के फैसले पर पहले से ही उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है जिसका उनके उत्तराधिकारी होने के नाते मुझे भी लाभ मिलेगा।
अमित जोगी ने यह भी बताया कि मुंगेली जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति द्वारा भी डॉ. ऋचा जोगी जाति प्रमाण पत्र अब तक निरस्त नहीं किया गया है। अमित जोगी ने कहा 24 सितंबर 2020 के बाद जो नियमों में गैर कानूनी संशोधन किया गया है, इसके अंतर्गत भी कलेक्टर को जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने का अधिकार नहीं है।
मरवाही उपचुनाव: त्रिकोणीय मुकाबले ने राजनीतिक दलों की बढ़ाई धड़कनें वह केवल जाति प्रमाण पत्र को अस्थाई रूप से निलंबित ही कर सकता है और सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा पारित अनेकों फैसलों के अनुसार जब तक उच्च स्तरीय छानबीन समिति के द्वारा किसी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त नहीं होता, तब तक उस व्यक्ति से उसका चुनाव लडऩे का मौलिक अधिकार नहीं छीना जा सकता है।