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Mission 2018: छत्तीसगढ़ की जनता का मूड टटोलने अमित शाह की टीम सीधे ले रही फीडबैक

locationरायपुरPublished: Jun 18, 2018 08:11:55 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व छत्तीसगढ़ में चौथी बार सरकार बनाने के लिए कोई भी खतरा मोल नहीं लेना चाहता है।

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Mission 2018: छत्तीसगढ़ की जनता का मूड टटोलने अमित शाह की टीम सीधे ले रही फीडबैक

राहुल जैन/रायपुर. भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व छत्तीसगढ़ में चौथी बार सरकार बनाने के लिए कोई भी खतरा मोल नहीं लेना चाहता है। इसी वजह से केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी में हुए अब तक के सर्वे से किनारा करते हुए अपने स्तर पर जनता का मूड टटोलना शुरू कर दिया है। इसके लिए बाकायदा दिल्ली में बैठी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की टीम छत्तीसगढ़ के अलग-अलग क्षेत्रों, पेशों और समुदायों के लोगों से फोन कर राय ले रही है। इस सारी कवायद से प्रदेश संगठन को पूरी तरह से अलग रखा गया है।
मालूम हो कि प्रदेश संगठन ने अब तक निजी एजेंसी और आरएसएस के माध्यम से सर्वे करवा चुकी है। इसके अलावा समयदानी कार्यकर्ताओं ने भी संगठन को अपनी रिपोर्ट दी है। इनकी रिपोर्ट भी केंद्रीय नेतृत्व को सौंपी जा चुकी है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी सर्वे के आधार पर टिकट कटने की बात कह चुके हैं। इस संबंध में भाजपा प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने कहते हैं कि हर बार पार्टी चुनाव से पहले सर्वे कराती है। टिकट वितरण का अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व लेगा।

ऐसे हो रहा है सर्वे
शाह की टीम से जुड़े सदस्य बड़े सुनियोजित तरीके से अपना काम कर रहे हैं। इसके लिए टीम से जुड़े सदस्य अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और परिजनों के जरिए छत्तीसगढ़ में रहने वाले उनके परिचितों से बात करवा रहे हैं। फोन करने वाला बातों-बातों में नेतृत्व पर सवाल कर रहा है। गोलमोल जवाब मिलने पर सीधे एक सवाल होता है कि जनता क्या चाहती है। जनता के मन में नाराजगी है या नहीं? यह सवाल कई मामले में अहम है।

सर्वे के मायने
1- भाजपा मिशन-65 के लिए कोई चूक नहीं करना चाहती है। टिकट वितरण का अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा। यह सर्वे टिकट वितरण में सबसे अहम भूमिका निभाएगा।
2- स्थानीय नेताओं के दम में टिकट लेने वाले नेताओं को नुकसान उठाना पड़ सकता है। सर्वे के बाद नए और युवा चेहरों के लिए रास्ता खुल सकेगा।
3- सर्वे में इस बात का भी ध्यान भी रखा जा रहा है कि कौन-कौन विधायक सोशल मीडिया में सक्रिया है या नहीं। इससे विधायक का सीधे जनता से जुड़ाव का पता चलेगा।
4- चुनाव से पहले नेतृत्व परिवर्तन और मंत्रियों-विधायकों की टिकट पर भी पड़ेगा असर।

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