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झुग्गी बस्तियां खोदकर बजरी तक नहीं डाली, वीआईपी इलाकों में रातोंरात शानदार पैचवर्क गड्ढ़े में अमृत मिशन

locationरायपुरPublished: Aug 07, 2022 09:46:15 pm

Submitted by:

Abhinav Murthy

अमीर-गरीब में भेदभाव करता है हमारा सिस्टम!

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रायपुर@पत्रिका। योजनाओं में जब खुलेआम भेदभाव होने लगे तो सिस्टम से सवाल पूछना लाज़मी है कि संविधान में बताई गई समानता कहां है? हम बात कर रहे हैं अमृत मिशन योजना की। शहर में इस योजना की 2 तस्वीरें नजर आती हैं। पहली गरीबों की बस्तियां जहां पाइपलाइन बिछाने के लिए सड़कें तो खोदी गईं, लेकिन काम पूरा होने के बाद बजरी डालना भी मुनासिब नहीं समझा गया। नतीजा… जगह-जगह गड्ढ़े। दूसरी तस्वीर वीआईपी इलाकों की जहां रातोंरात ऐसा पैचवर्क किया गया कि कभी यहां सड़क खोदी भी गई थी, पहचान पाना मुश्किल हो जाता है। शहर के अलग-अलग इलाकों का मुआयना करने पर पत्रिका टीम ने पाया कि रिहाइशी इलाकों में अमृत मिशन योजना के तहत बमुश्किल एक से डेढ़ फीट के गड्ढे खोदे जा रहे हैं। पाइप बिछते ही इन्हें कंक्रीट से भर दिया जाता है। मतलब अगले दिन सड़क पहले की तरह सामान्य। वहीं झुग्गी बस्तियों में बेतरतीब तरीके से चौड़े और गहरे गड्ढे खोदे जा रहे हैं। पाइप बिछाने के बाद वापस इन्हें मिट्टी से ही भर दिया जा रहा है। ऊपर से कुछ गाड़ियां गुजरी नहीं कि गड्ढ़े ही गड्ढ़े। इससे आने-जाने वाले राहगीरों को तो परेशानी हो ही रही है, आसपास रहने वाले लोग भी इस बदइंतजामी से हलाकान हैं।

आसपास के इलाकों की दो अलग तस्वीर, आप भी देखिए…

जरूरत नहीं, वहां पहुंचा दिया पानी सूखाग्रस्त इलाकों में अब भी संकट
योजना में किस हद तक लापरवाही की जा रही है, इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि डीडीनगर इलाके में कभी जल संकट खड़ा नहीं हुआ। इसके बावजूद अमृत मिशन योजना की शुरुआत के लिए इसी इलाके को सबसे पहले चुना गया। वहीं, रायपुरा और चंगोराभाठा क्षेत्र ऐसे हैं जहां पानी की किल्लत हमेशा से रही है। फिर भी जिम्मेदारों ने आज तक यहां अमृत मिशन के जरिए पानी पहुंचाने की पहल नहीं की।

मॉनीटरिंग कमजोर इसलिए 6 साल बाद भी अधूरा है प्रोजेक्ट
लगभग 450 करोड़ वाली अमृत मिशन योजना 6 साल बाद भी अधूरी है। ठेकेदार अपने मन मुताबिक काम कर रहे हैं। इसकी बड़ी वजह ये कि स्मार्ट सिटी आज तक प्रोजेक्ट की मॉनीटरिंग के लिए कोई मजबूत सिस्टम खड़ा नहीं कर पाई है। देखरेख का ही अभाव है जिसने इस योजना को शहरवासियों के लिए सुविधा कम और दुविधा अधिक बना दिया है। बता दें कि प्रोजेक्ट अधूरा होने से ही निगम को हर साल गर्मी में जल आपूर्ति के लिए टैंकरों पर करोड़ों रुपए खर्च करना पड़ता है।

लोगोंं की सुविधा मिले, हमारा पूरा जोर इसी पर है। गुणवत्ताहीन काम के चलते कहीं परेशानी खड़ी हो रही है तो इसके लिए जो भी जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ हम सख्त कार्रवाई करेंगे।
एजाज ढेबर, महापौर
नगर पालिक निगम

स्तरहीन काम, लापरवाह तंत्र
अमृत मिशन योजना के नाम पर शहरभर में स्तरहीन काम किया जा रहा है। इससे तंत्र की लापरवाही भी उजागर होती है। टंकियां बनाए बिना पाइपलाइन बिछा दी। इससे कई इलाकों में पानी की धार पतली है।

मीनल चौबे, नेता प्रतिपक्ष
नगर पालिक निगम

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