आसपास के इलाकों की दो अलग तस्वीर, आप भी देखिए…
जरूरत नहीं, वहां पहुंचा दिया पानी सूखाग्रस्त इलाकों में अब भी संकट
योजना में किस हद तक लापरवाही की जा रही है, इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि डीडीनगर इलाके में कभी जल संकट खड़ा नहीं हुआ। इसके बावजूद अमृत मिशन योजना की शुरुआत के लिए इसी इलाके को सबसे पहले चुना गया। वहीं, रायपुरा और चंगोराभाठा क्षेत्र ऐसे हैं जहां पानी की किल्लत हमेशा से रही है। फिर भी जिम्मेदारों ने आज तक यहां अमृत मिशन के जरिए पानी पहुंचाने की पहल नहीं की।
मॉनीटरिंग कमजोर इसलिए 6 साल बाद भी अधूरा है प्रोजेक्ट
लगभग 450 करोड़ वाली अमृत मिशन योजना 6 साल बाद भी अधूरी है। ठेकेदार अपने मन मुताबिक काम कर रहे हैं। इसकी बड़ी वजह ये कि स्मार्ट सिटी आज तक प्रोजेक्ट की मॉनीटरिंग के लिए कोई मजबूत सिस्टम खड़ा नहीं कर पाई है। देखरेख का ही अभाव है जिसने इस योजना को शहरवासियों के लिए सुविधा कम और दुविधा अधिक बना दिया है। बता दें कि प्रोजेक्ट अधूरा होने से ही निगम को हर साल गर्मी में जल आपूर्ति के लिए टैंकरों पर करोड़ों रुपए खर्च करना पड़ता है।
लोगोंं की सुविधा मिले, हमारा पूरा जोर इसी पर है। गुणवत्ताहीन काम के चलते कहीं परेशानी खड़ी हो रही है तो इसके लिए जो भी जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ हम सख्त कार्रवाई करेंगे।
एजाज ढेबर, महापौर
नगर पालिक निगम
स्तरहीन काम, लापरवाह तंत्र
अमृत मिशन योजना के नाम पर शहरभर में स्तरहीन काम किया जा रहा है। इससे तंत्र की लापरवाही भी उजागर होती है। टंकियां बनाए बिना पाइपलाइन बिछा दी। इससे कई इलाकों में पानी की धार पतली है।
मीनल चौबे, नेता प्रतिपक्ष
नगर पालिक निगम