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‘सेक्स सिक्छाÓ के जरूरत हे

locationरायपुरPublished: May 23, 2018 07:29:11 pm

Submitted by:

Gulal Verma

दुस्करम के घटना बाढ़त हे

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‘सेक्स सिक्छाÓ के जरूरत हे

देस म अनाचार के घटना दिनोदिन बाढ़त जावत हे। दुस्करम, नैतिक अउ चारित्रिक पतन पहिली बिदेसमन म जादा होवय। अब पास्चात्य संस्करीति के दुस्परभाव हमर भारतीय संस्करीति उपर बहुचेत जादा परत हे। आज नान-नान नोनीमन से लेके सियान माइलोगिनमन से घलो दुराचार होवत हे। छेडख़ानी ह तो आम बात होगे हे। कठुआ अउ उन्नाव के घटना के बाद म देसभर के जनता गुस्सा म हे। सरकार ह नान-नान लइकामन से दुस्करम करइयामन ल फांसी देय के कानून बनावत हे।
कानून म अब्बड़ छेदा होय के सेती दुस्करमी म बांच जथें। जल्दी फइसला नइ होय ले पीडि़तमन जिंदगीभर डर अउ कुंठा म जीये बर मजबूर हो जथें। देस म अनाचार बाढ़े के तीन कारन हे। पहिली मनोबिग्यानी सिक्छा के कमी। दूसर सेक्स सिक्छा नइ देवई। तीसर अपन संस्करीति ल छोड़के बिदेसी संस्करीति ल अपनई। दुस्करमीमन मनोबिग्यानिक रूप से कमजोर होथें। बिदेस म तीन बछर ले लइकामन ल सेक्स के सिक्छा देय जाथे। हमर देस म घलो मनोबिग्यानी अउ सेक्स सिक्छा देय के जरूरत हे। संगे-संग अपन संस्करीति अउ संस्कार ल अपनाय बर घलो चाही।
बेवस्था म सुधार होवय
समाज म होवत चारित्रिक अउ नैतिक पतन के दोसी आज के बेवस्था करइया नेता अउ राजनीतिक पारटी हावय। उहीमन ह ऐला बढ़ावा दीस अउ आखिर म उंकरेमन के काल बनगे। आज तो देसभर म जिहां देखबे, तिहां एक ले सेक घटना होवत हे। अतेक अतियार, अनाचार के लोगनमन सपना म घलो नइ सोच सकत रहिन हें। आज नारी-परानीमन के इज्जत, मान-सम्मान नइ बांचत हे। चरित्र, नैतिकता, ईमानदारी, सदाचार ल बचाय बर कुरबानी देय बर परही।
जरूरत ये बात के हावय के नारी-परानी के सम्मान अउ सुरक्छा ल सबले उप्पर अउ जरूरी समझे बर चाही। असामाजिक अउ आपराधिक किसम के लोगनमन के बहिस्कार करके समाज के ‘गंदगीÓ ल हटाय बर चाही। गुनाहकरइयामन ल बचइयामन ल घलो सजा देय बर चाही। सरकार, पुलिस अउ अदालत ल समाज के अइसन फइसला के समरथन करे बर चाही। काबर के कोनो भी चरित्रहीन मनखे ह कोनो भी समाज ल कभु सरमसार झन कर सकय। सबो जगा, सबो समे, सबो नोनी-माइलोगिनमन सुरक्छित रइ सकंय।
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