ऐसे निर्भया फंडों से क्या होगा…
रायपुरPublished: Jun 22, 2018 06:23:01 pm
साध्वियों के साथ दुष्कर्म, उसके बाद हत्या की कोशिश
ऐसे निर्भया फंडों से क्या होगा…
साध्वियों के साथ दुष्कर्म, उसके बाद हत्या की कोशिश और फिर पुलिस द्वारा उनकी एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करने की जगह उन्हें भगा देना, यह पूरी घटना एक अपराध के साथ ही अमानवीयता की पराकाष्ठा भी है। दुष्कर्म पीडि़ताएं थानों की चौखट से निराश लौट गईं। ऐसे में निर्भया फंडों का क्या औचित्य, जब यह व्यवहार में उतर ही नहीं पा रहा। यह विकृति ही कही जाएगी कि चांपा के एक आश्रम की दो साध्वियों को अगवा कर दुष्कर्म किया। आरोपियों के हौसले इतने बुलंद थे कि उन्होंने दुष्कर्म के बाद दोनों साध्वियों को मारने के लिए दो लाख रुपए की सुपारी तक दे डाली। हालांकि शिकायत न करने और प्रदेश छोड़कर कहीं और बस जाने की शर्त पर सुपारी किलर ने उन्हें छोड़ दिया। हिम्मत कर साध्वियों ने पुलिस में शिकायत भी करनी चाही तो उनको जांजगीर-चांपा के हसौद थाने से भगा दिया गया। उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री से शिकायत की तब कहीं जाकर पेंड्रा थाने में एफआईआर हुई और पुलिस ने कार्रवाई शुरू की।
यह पूरा घटनाक्रम सिर्फ अपराध करने वालों ही नहीं, पुलिस की मानसिकता पर भी सवालिया निशान खड़ा करता है। दुष्कर्म पीडि़ताओं के साथ इस तरह पेश आकर पुलिस ने मामला रफा-दफा करने की कोशिश कर दुष्कर्म करने वालों का साथ ही दिया है। इससे पता चलता है कि इस मामले में दुष्कर्म के आरोपियों और पुलिस की मानसिकता में ज्यादा फर्क नहीं है। आरोपियों पर तो कार्रवाई होनी ही चाहिए, उन पुलिस वालों को भी नहीं बख्शा जाना चाहिए, जिन्होंने इस संगीन मामले में एफआईआर के बाद छानबीन करने की जगह मामले को दबाने की कोशिश की।
पुलिस की इसी मानसिकता की वजह से ही दुष्कर्म पीडि़ताओं की शिकायत और जांच के लिए हर थाने में एक महिला डेस्क बनाने की जरूरत महसूस की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसे मामलों के लिए गाइड लाइन तय की है। ताकि महिलाओं को शर्मिंदगी और परेशानी न झेलनी पड़े, लेकिन अफसोस कि इस ओर सरकारों का भी ध्यान नहीं है। इसीलिए महिलाओं को थानों में भी बेआबरू होना पड़ रहा है।