देसवासीमन ल अजादी के कीमत समझे बर परही
रायपुरPublished: Aug 16, 2023 03:44:09 pm
हमर नवा पीढ़ी के लइकामन तो अंगरेजी-बिदेसी संस्करीति के जम्मो बुराईमन ल हाथों-हाथ लेवत हें। गुलामी कभु रिहिस, अब नइए, आगू नइ होही ए कहिना गलत हे। हमर समाज अउ देस म गुलामी बिना रुके चलत हे। हमरमन के मन म धीरज नइए। हमन पिछल्लगु हन।


देसवासीमन ल अजादी के कीमत समझे बर परही
बिहनिया-बिहनिया चउंरा म बइठे, हाथ म अखबार धरे जुन्ना गुरुजी के मन म किसम-किसम के बिचार उमड़त-घुमड़त रिहिस। 7५ बछर पहिली गुलामी के सींगमन ल अजादी डहर मोड़ दे गे हे। वो सींगमन ल फेर सीधा करके आ बइला मोला मार! काहत हावंय। देसभर म सरकारी जिनिसमन ल अरबपति-खरबपतिमन ल बेचे ले तो इही लागथे। फेर, हमर नेतामन तो अपनआप ल बेचे म कोनो सरम नइ करत हें। ‘जेती बम, वोती हम’ के रद्दा म चलत हें। सत्ता मिले बर चाही, बैंक बैलेंस बाढ़े बर चाही, मान-सम्मान जाए तेल ले बर। जेन जनता ह वोट देके चुनई जितवाय हे, तेन ल ठेंगा। जेन पारटी ह चुनई लड़े बर टिकट दिस, वोला राम-राम। अपना काम बनता- चूल्हा म जाए जनता। कभु ईमान-धरम रिहिस, लाज-सरम लागय। अब तो बाप बडक़ा न भइय्या, सबले बडक़ा रुपइय्या के जमाना हे। जनतंत्र म तंत्र ह हावी होवत हे। महंगई, बेरोजगारी, गरीबी ले मरत जनता के कहुं सुनवाई नइए। अवाज उठइयामन ऊपर तंत्र के लउठी उठत हे। लोकतंत्र ह राजसाही कस जनावत हे। राजा के हुकुम के बिना पत्ता नइ हालय-डोलय कस किस्सा होवत हे।