इनमें सामान्य प्रसव के लिए 4500 रुपए और सीजेरियन प्रसव के लिए 11 हजार 250 रुपए की दर से राशि निकाली गई। जबकि गर्भवती महिलाओं को जननी शिशु सुरक्षा योजना के तहत नि:शुल्क इलाज की सुविधा दी जाती है।
कैग रिपोर्ट के मुताबिक पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय गर्भवती महिलाओं के मामलों में लापरवाही बरती जा रही थी। यही नहीं, अधिकारी सरकारी नियम-कायदों को ठेंगा दिखाकर काम कर रहे थे। स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव के बाद महिलाओं को 48 घंटे तक ठहराना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वर्ष 2012-17 के दौरान हुए 14.32 लाख संस्थागत प्रसव में से 5.05 लाख महिलाओं को 48 घंटे के भीतर ही छुट्टी दे दी गई।
गर्भवती महिलाओं को टिटनस-टॉक्साइड (टीटी) का टीकाकरण और आयरन फोलिक एसिड (आइएफए) टैबलेट देना होता है। जबकि 2012-17 के दौरान 5.42 से 28.62 फीसदी महिलाओं को उनकी गर्भावस्था के दौरान टीकाकरण ही नहीं किया है। वहीं आइएफए टैबलेट की खुराक 88.85 फीसदी महिलाओं को दी गई।
54 हजार से अधिक महिलाओं को प्रोत्साहन राशि नहीं : जननी सुरक्षा योजना के तहत स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसवित समस्त गर्भवती महिलाओं को प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 1400 रुपए और शहरी क्षेत्रों में 1000 रुपए संस्थागत प्रसव के लिए दिए जाते हैं।
नियम के बावजूद राज्य सरकार ने 94 हजार से अधिक महिलाओं को यह राशि नहीं दे सका। राज्य में वर्ष 2012-17 के दौरान शासकीय स्वास्थ्य संस्थानों में 14.32 लाख महिलाओं का प्रसव हुआ, जिसमें से 53 हजार 983 महिलाओं को प्रोत्साहन राशि नहीं मिली।
सरकारी नियमों ने भी अटकाया : सरकारी तंत्र के बनाए नियमों की वजह से भी गर्भवती महिलाओं को प्रोत्साहन राशि नहीं मिल सकी है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि चयनित सात जिला अस्पतालों में से तीन और नौ सीएचसी में जननी सुरक्षा योजना के तहत 69 हजार 905 महिलाओं को 11229 चेक के जरिए 1.46 करोड़ रुपए जारी किए गए, लेकिन लाभार्थियों के बैंक खातों में चेक जमा न करने या लाभार्थी के नाम पर बैंक खाता नहीं होने के कारण उन्हें भुनाया नहीं जा सका। कैग ने पाया कि इस प्रकार संस्थागत प्रसव के लिए प्रोत्साहन राशि प्रदान करने के उद्देश्य को पूर्णतया प्राप्त नहीं किया जा सका।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने मध्यप्रदेश में भाजपा राज के दौरान विभिन्न विभागों में 9500 करोड़ से ज्यादा के घोटालों का खुलासा किया है। कई योजनाओं में करोड़ों देने के बाद भी छात्रों को चारपाई तक नहीं मिली, तो कहीं सरकारी खजाने को चपत लगाकर ठेकेदारों पर खूब मेहरबानी की गई है। अब तक इन घोटालों की अनदेखी कर उन्हें ठंडे बस्ते में डाला जा रहा था, लेकिन सत्ता बदलते ही ऐेसे कई घोटालों की जांच शुरू हो गई। जिन घोटालों का खुलासा हुआ है, उनमें वाणिज्यकर, सिंचाई समेत कई अहम विभाग हैं।