उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, इस पूरे मामले में अजीत जोगी और रमन सिंह ने मिलकर मुझे मोहरा बनाया। मुझे सिर्फ झूठे आश्वासन दिए गए। मेरे ऊपर सात करोड़ रुपए लेकर नाम वापस लेने का आरोप लगा जो सरासर गलत है।
प्रेसवार्ता में मंतूराम के साथ 6 निर्दलीय प्रत्याशी भी आए थे। मंतूराम ने कहा कि सभी प्रत्याशियों को भाजपा सरकार ने दबाव डालकर नाम वापस करवाया। किसी को पैसों का लालच दिया तो किसी को जान से मरवाने की धमकी दी गई। कुछ नेताओं ने स्वीकार किया कि उन्हें रकम दी गई थी।
अंतागढ़ टेप कांड को लेकर चल रही जांच को लेकर मंतूराम ने कहा, मैं अपना वायस सैंपल देने के लिए हमेशा से तैयार हूं। लेकिन अजीत जोगी वॉयस सैंपल देने से क्यों बच रहे हैं। उन्हें पता है कि यदि उन्होंने वॉयस सैंपल दिया तो सारा दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
मंतूराम ने कहा, रमन सिंह और अजीत जोगी पर सांठगांठ का आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों के बीच पहले से ही तालमेल था। अजीत जोगी, रमन सिंह से मिलकर 2003 से लेकर 2018 तक छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनवाई।
उन्होंने कहा, मैं चुनाव लडऩा चाह रहा था। लेकिन मेरे साथ मजबूरी थी। उसके दो कारण हैं एक तो मुझे लालच दिया गया और दूसरी तरफ मेरे जान से मारने की धमकियां दी जा रही थी। मुझे धमकी दी जा रही थी कि यदि आप नाम वापस नहीं लोगे तो आपके साथ कभी भी दुर्घटना हो सकता है।
आप नक्सल क्षेत्र के हो कभी भी आपका एनकाउंटर हो सकता है। इसलिए आप नाम वापस लो। उसी दिन से मैं दबाव में था। मैंने अपनी और परिवार की सुरक्षा को देखते हुए नाम वापसी का निर्णय लिया था।
मंतूराम ने बताया कि 12 लोगों ने नामांकन भरा था, जिसमें 6 भीम सिंह उसेंडी, भोजराज नाग, देवराज हिड़को, महादेव मंडावी, शंकरलाल नेताम, वीरेन्द्र कुमार आपके समक्ष मौजूद हैं। ये सभी आदिवासी हैं, भोले-भाले लोग हैं, ये ईमानदार हैं। ये चुनाव लडऩा चाहते थे, चुनाव लड़कर जनता के बीच में जाकर सेवा करना चाहते थे।
उन्होंने कहा, दंतेवाड़ा उपचुनाव में वहां की जनता से कहना चाहता हूं कि भाजपा ने अंतागढ़ उपचुनाव में भाजपा ने खरीदफरोख्त किया। इसलिए वहां की जनता इससे सबक लेते हुए भाजपा को सबक सिखाए।