बिलासपुर हाईकोर्ट में कांकेर के अंतागढ़ उपचुनाव में हुए टेप कांड में आरोपी बनाए गए मंतूराम पवार, डा. पुनीत गुप्ता और राजेश मूणत की अग्रिम जमानत याचिका पर बहस सोमवार को भी अधूरी रह गई थी। सोमवार को जस्टिस गौतम भादुड़ी की एकलपीठ में मामले की सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता द्वारा पूर्व मंत्री मूणत को अग्रिम जमानत देने का पुरजोर विरोध किया गया था। वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा तर्क दिया गया कि जब मामले की जांच पहले ही हो चुकी है और याचिकाकर्ता को क्लीन चिट दे दी गई है तो अग्रिम जमानत देने में क्या परेशानी है।
अंतागढ़ टेपकांड में अपने ऊपर दर्ज हुई एफआईआर को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता मंतूराम पवार, राजेश मूणत और डा. पुनीत गुप्ता की ओर से हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई गई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से मामले की पैरवी जबलपुर हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह और विवेक शर्मा कर रहे हैं। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता सिंह द्वारा तर्क दिया गया कि शिकायतकर्ता किरणमयी ने किस हैसियत से एफआईआर दर्ज कराई है और इसका प्रयोजन क्या है। ये पूरा मामला राजनैतिक है और बदनाम करने की साजिश है। शासन द्वारा एसआईटी गठन की वैधानिकता को चुनौती देते हुए इसके भंग किए जाने की मांग की गई है।
अंतागढ़ टेपकांड मामले में रायपुर के पंडरी थाने में किरणमयी नायक द्वारा डा. पुनीत गुप्ता, राजेश मूणत, मंतूराम पवार समेत अजीत जोगी और अमित जोगी के खिलाफ धोखाधड़ी, रुपयों का प्रलोभन और भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई है। इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने एफआईआर को चुनौती देते हुए अग्रिम जमानत दिए जाने की मांग की थी।