दरअसल, कोविड के कारण अधिकांश मंत्री और विधायक अपनी विधानसभा में सक्रिय नहीं हो पाए। कारण चाहे जो भी हो, सत्ता पक्ष से जुड़े मंत्री, विधायक जनता से दूर हो गए। इससे जनता में नाराजगी बढ़ी है। इस नाराजगी को भुनाने के लिए विरोधी पार्टी ने कमर कस ली है। वैसे छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजनीतिक पटल को देखें तो प्रदेश में अभी विपक्ष के रूप में भाजपा ही खड़ी है, जिसके पास सिपहसालारों की कमी नहीं है। भाजपा के रणनीतिकार खुद की पार्टी की जनाधार का आंकलन तो कर ही रहे हैं, लेकिन उनका फोकस सरकार के मंत्रियों और विधायकों की निष्क्रियता को लेकर ज्यादा है। भाजपा के रणनीतिकार सभी विधानसभा में विधायकों की परफार्मेंस रिपोर्ट बना रहे हैं। यह बात कंाग्रेस के आलाकमान और पीसीसी चेयरमैन से छिपी नहीं है। यही वजह है कि पीसीसी चेयरमैन मोहन मरकाम ने सभी सभा में कह दिया था कि कोई यह न समझें कि गमछा रखने से कोई विधानसभा सीट रिजर्व हो जाएगी। उन्होंने सख्त लहजे में कहा था कि विधायकों और कार्यकर्ताओं को अपने-अपने क्षेत्र में जनता के बीच जाना होगा। उनको सरकार के कामकाज की जानकारी देनी होगी। यह कहकर पीसीसी चीफ ने एक तीर से दो निशाना साधा है। उन्होंने निष्क्रिय विधायकों और टिकट की चाह रखने वालों को चेतावनी दे दी है कि किसी के आगे-पीछे घूमने और एसी गाड़ी रखने और स$फेद कुर्ता-पजामा पहनने से ही कोई नेता नहीं बन जाता। इसके लिए जनता के बीच लोकप्रियता जरूरी है। यह तब होगा, जब जनता से उनका सीधे जुड़ाव होगा। पीसीसी चीफ ने यह बयान देकर कांग्रेस के मंत्री और विधायकों को समझाइश देने की भी कोशिश की है। बातों ही बातों में उन्होंने उन्हें यह संकेत दिया है कि अभी भी समय है। प्रदेश की सत्ता में काबिज होने के बाद मंत्री और विधायकों ने अब तक अपने ही मंसूबे पूरे किए हैं। अधिकांश ने कार्यकर्ताओं को तवज्जो नहीं दी है। जब सरकार से जुड़े कार्यकर्ता नाराज होंगे तो भला जनता कैसे संतुष्ट होगी।
दरअसल, कांग्रेस शासनकाल के तीन साल के दौरान कई मौके ऐसे आए हैं, जब कार्यकर्ता अपनी ही पार्टियों के नेताओं के खिलाफ मुखर हो गए थे। भरी मीभटग में वे यह कहने से नहीं चूके थे कि उनका काम मंत्री और विधायक नहीं करते हैं। ऐसे में जनता के बीच सरकार की क्या उपलब्धियां गिनाएंगे। खुद का काम नहीं होने से कार्यकर्ताओं को टीस है। इसलिए वे सक्रिय नहीं हो रहे हैं। कार्यकर्ताओं की नाराजगी लाजिमी है, क्योंकि सरकार ने तीन साल में कोई ऐसे बड़े प्रोजेक्ट पर काम ही नहीं किया है, जिसे लेकर वे जनता के बीच जाएं। छत्तीसगढ़ में धान बड़ा मुद्दा है, जिसे बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भुना चुकी है। समर्थन मूल्य बढ़ाने का वादा कर कांग्रेस सत्ता में आई है, लेकिन एक ही हथियार हर जंग जिता दे, यह भी मुमकिन नहीं है।
सोचने से हर काम नहीं होता
छत्तीसगढ़ में सरकार के प्रति एंटी इनकंबेंसी के बीच स्वास्थ्य मंत्री टीएस ङ्क्षसहदेव का एक बयान सामने आया था। उन्होंने कहा था कि पीसीसी चीफ यह सोचते हैं कि तीन साल के दौरान मंत्री और विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता को पर्याप्त समय नहीं दे पाए हैं तो उसमें मेरा नाम भी शामिल होगा। मैं प्रतिदिन कुछ अच्छा करने के लिए सोचता हूं, लेकिन ये अलग बात है कि सोच के अनुसार काम नहीं होता। बाबा ने यह कहकर पार्टी में चल रही उनकी स्थिति और अपनी पीड़ा सार्वजनिक कर दी है। पर राजनीति का लंबा अनुभव रखने वाले और मंझे हुए खिलाड़ी बिना सोचे-समझे कोई चाल नहीं चलता। इनमें बाबा भी शामिल हैं। उन्होंने इशारों ही इशारों में ये संकेत दे दिए हैं कि किसी के सोचने और समझने से काई फर्क नहीं पड़ता, धरातल पर काम दिखाना ही पड़ेगा।
एंटी इनकंबेंसी पर भ्रम
कांग्रेस संगठन और सरकार छत्तीसगढ़ में एंटी इनकंबेंसी को लेकर ङ्क्षचतित हैं, लेकिन इन सबसे परे जिले के प्रभारी मंत्री और राजस्व मंत्री जयङ्क्षसह अग्रवाल के अंदाज ही निराले हैं। उन्होंने यह कहकर सबको चौंका दिया है कि कोरोना काल में उन्होंने जितना काम किया है, उतना काम तो उनके संभाग में किसी ने नहीं किया है। अब एंटी इनकंबेंसी कहां काम कर रही है ये तो प्रदेशाध्यक्ष ही बताएंगे। कांग्रेस की राजनीति से जुड़े और उच्च पदस्थ सूत्र राजस्व मंत्री के इस बयान को लेकर कई तरह के मायने निकाल रहे हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस के धाकड़ नेता और कद्दावर मंत्री को भ्रम हो गया है कि उनके क्षेत्र में उन्हें कोई हरा नहीं सकता। इसी भ्रम ने तो बीते चुनाव में भाजपा की लुटिया डूबा दी थी।
सफाई देते रहे कृषि मंत्री ..
कृषि मंत्री रङ्क्षवद्र चौबे ने कहा था कि सभी विधायक, मंत्री अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय है और काम कर रहे हैं। उनका कहना था कि कोरोना जैसे जैसे कम होते जा रहा है मंत्री अपने विभागों में ध्यान दे रहे हैं विधायक भी अपने क्षेत्र में निकल रहे हैं। कृषि मंत्री ने अपने सहित प्रदेश के अधिकांश नेताओं के कार्यशैली को लेकर सफाई देते रहे लेकिन हकीकत यह है कि कांग्रेस संगठन और सरकार छत्तीसगढ़ में एंटी इनकंबेंसी को लेकर चिंतित हैं।और इसे दूर करने की कोशिश की जा रही है।