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छत्तीसगढ़ में खुदाई में मिली एेतिहासिक लोरिक-चंदा की अमरप्रेम कहानी की 40 निशानियां

locationरायपुरPublished: Jul 01, 2019 09:22:56 am

Submitted by:

Akanksha Agrawal

नेशनल हाइवे (national highway) के किनारे स्थित लोरिक चंदा टीले से खुदाई के दौरान पुरातत्वविदों को एक मुहर मिला है। इसे आसपास के ग्रामीण ऐतिहासिक लोरिक-चंदा टीला मानते हैं। माना जाता है कि इस टीले के पास ही लोरिक चंदा मिलते थे।

Archaeological department

छत्तीसगढ़ में खुदाई में मिली एेतिहासिक लोरिक-चंदा की अमरप्रेम कहानी की 40 निशानियां

रायपुर. राजा महर की बेटी ये ओ, लोरिक गावत हवव चंदा…, ये चंदा हे तोर…,। छत्तीसगढ़ी लोक कथा (Chhattisgarhi folk tales) की ये पंक्तियां जो भी सुनता है वह लोरिक-चंदा (Lorik Chanda) की प्रेम गाथा (Love story) में डूब जाता है। प्रेम, त्याग और संघर्ष की ये कहानी फिर से चर्चा में हैं। दरअसल, आरंग के पास रीवा गांव के लोरिकगढ़ में पुरातत्व विभाग (Archaeological department) उत्खनन करवा रहा है।

गांव वालों का मानना है कि लोरिक लोरिकगढ़ का ही रहने वाला था। वह इस गांव के आसपास मवेशी चराता था। इस दौरान वह बांसूरी बजाता था और इससे मोहित होकर आरंग की चंदा उससे मिलने आती थी। दोनों की प्रेम लीला लोरिकगढ़ का हिस्सा रहा।

ग्रामीण दावा करते हैं कि लोरिक की वजह से ही रींवा के इस हिस्से को लोरिकगढ़ कहा जाता है। फिलहाल पुरातत्व विभाग के अधिकरियों ने लोरिकगढ़ को लोरिक-चंदा से नहीं जोड़ा है, लेकिन इतिहासकार मानते हैं कि जो प्रेमगाथा सदियों से चली आ रही है और जिसमें आरंग व रींवा का उल्लेख होता है। इसमें कुछ तो सच्चाई है। इसका अन्वेन्षण होना चाहिए।

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