जेटली का छत्तीसगढ़ की राजनीति में भी बड़ा स्थान रहा है।यही नहीं नए-नवेले छत्तीसगढ़ प्रदेश में कमल खिलाने में भी जेटली का अहम योगदान रहा है।दरअसल यह पूरा घटनाक्रम 2003 का है, जब छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद पहली बार आम चुनाव का गवाह बना, भाजपा को बहुमत मिला लेकिन इसके बाद भी सरकार बनाना आसान बात नहीं थी। लेकिन यह अरुण जेटली की राजनीतिक कौशल ही था कि प्रदेश में पहली बार भाजपा सरकार बनाने में सफल रही।
पढ़िए अरुण जेटली के संकटमोचक बनने से जुड़ी खास 10 बातें 1 . छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद आईएएस (IAS) अजीत जोगी (Ajit Jogi ) को प्रदेश की बागडोर सौंपी गई और उन्हें मुख्यमंत्री (Chief Minister) मनोनीत किया गया।
2. प्रदेश में 2003 में पहली बार विधानसभा के आम चुनाव हुए और भाजपा को बहुमत मिला । 3. प्रदेश में भाजपा सरकार बनाने के लिए उत्साहित थी । 4. लेकिन कांग्रेस हार मानने को तैयार नहीं दिखी, अजीत जोगी के नेतृत्व में भाजपा विधायकों (BJP MLA ) को पैसों के दम पर तोड़ने का दौर चला।
5. कांग्रेस का सबसे बड़ा निशाना बने, प्रदेश में भाजपा विधायक वीरेंदर पांडेय। 6. जिसके बाद सामने आया प्रदेश की राजनीति को पूरी तरह बदल देने वाला टेप, जिसमे अजीत जोगी, तात्कालिक कांग्रेस सांसद पीआर खुंटे और भाजपा विधायक वीरेंदर पांडेय के बीच विधायकों की ख़रीद-फरोख्त की बात सार्वजनिक हो गई।
7. वीरेंद्र पांडे को मिले पैसों के साथ अरुण जेटली मीडिया के सामने आये। 8. रायपुर में अरुण जेटली ने पूरे घटनाक्रम का खुलासा किया और जोगी को कसूरवार ठहराया। जेटली ने नोटों से भरा बोरा और सीडी पत्रकारों के सामने जारी करवाया ।
9. इस पूरे मामले के बाद कांग्रेस की बड़ी किरकिरी हुई और प्रदेश समेत राष्ट्रीय नेतृत्व पर कई सवाल उठे। 10. प्रदेश में रमन सिंह (Raman Singh) के नेतृत्व में सरकार बनी और इस कांड जांच सीबीआई को सौंपी गई जिसके नतीजे का इंतज़ार देश को आज भी है। Arun Jaitley death