मानवता शर्मसार
रायपुरPublished: Jul 18, 2018 10:06:17 pm
महिला की मौत के आठ घंटे बाद तक शव अस्पताल परिसर में रखा
रायपुर। राजधानी रायपुर स्थित प्रदेश के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल डॉ. भीमराव आम्बेडकर हॉस्पिटल में उपचार के दौरान महिला की मौत के आठ घंटे बाद तक शव अस्पताल परिसर में रखे रहना बेहद दुखद और शर्मनाक घटना है। मृतका के परिजनों द्वारा मिन्नतें करने के बावजूद शव वाहन उपलब्ध न कराना अस्पताल प्रबंधन व डॉक्टरों की संवेदनहीनता व अमानवीयता की हद है। इससे पहले भी आम्बेडकर हॉस्पिटल में गरीब मरीजों का उचित इलाज के अभाव में तड़पने, भटकने, परेशान होने, ठिठुरन भरी रात में फर्श पर सोने, सस्ती दवाइयां और भरपेट भोजन नहीं मिलने के मामले उजागर होते रहे हैं।
अफसोसनाक है कि प्रदेश के अस्पतालों में मानवता को शर्मसार करने वाली घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। पैसे के बगैर गरीबों का इलाज नहीं करने, अस्पताल के बाहर रातभर किसी महिला का शव पड़े होने, एम्बुलेंस चालक द्वारा रास्ते में शव छोडऩे, एम्बुलेंस नहीं मिलने से साइकिल, कंधे, खाट व ठेले पर रखकर अपने किसी परिजन का शव अस्पताल लाने -ले जाने की घटनाएं आए दिन सुर्खियां बनती रहती हैं। अस्पतालों में ऐसे वाकये भी सामने आते रहते हैं, जहां भगवान का दूसरा रूप समझे जाने वाले डॉक्टरों का असंवेदनशील चेहरा भी दिखता है।
अब की बार आबंडेकर अस्पताल में शव वाहन नहीं मिलने से महासमुंद जिले के बागबाहरा के काशीनगर के एक परिवार को भारी परेशानी झेलनी पड़ी। शव को घंटों अस्पताल परिसर में रखने को मजबूर होना पड़ा। आखिर त्याग, सेवा और संवेदनशीलता का पर्याय माने जाने वाले डॉक्टर इतने लापरवाह और असंवेदनशील क्यों हो गए हैं कि दुखी परिजनों पर तरस तक नहीं आता? आखिर ऐसी सुविधा का क्या मतलब है, जिससे जरूरतमंद की मदद तक नहीं की जा सकती हो? जन्म और मृत्यु से जुड़ी अनिवार्य सेवाओं- सुविधाओं का विकास बहुत जरूरी है। धार्मिक आधार अथवा मानवीय आधार पर देखें, ऐसी सुविधा अनिवार्य है। बस्तर जैसे कठिन क्षेत्रों में अंतिम यात्रा संबंधी समस्याएं समझ में आती हैं। वहां जंगल और पहाड़ की अधिकता की वजह से सड़क और परिवहन सुविधाओं का अभाव है। लेकिन जब राजधानी रायपुर में प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में शव वाहन की अनुपलब्धता की नौबत आ जाए तो यह असुविधा या व्यवस्थागत कमी लापरवाही व अनदेखी का दुष्परिणाम है।
सरकार मुक्तांजलि वाहन की सुविधा देती है। लिहाजा, राजधानी सहित प्रदेश के जो भी प्रमुख अस्पताल हैं, वहां हरदम मुक्तांजलि वाहन की सुविधा रहनी चाहिए। किसी भी परिस्थिति में कहीं भी दोबारा अगर ऐसी घटना हो तो संबंधित अधिकारी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।