स्वास्थ्य विभाग ने भी माना है कि चेतावनी के बाद भी रायपुर और बिलासपुर में कुछ निजी अस्पताल मरीजों को योजना का लाभ नहीं दे रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने वाले निजी अस्पतालों को 9 नवम्बर को नोटिस जारी कर 15 नवम्बर तक काम शुरू करने का अल्टीमेटम दिया था। गुरुवार को राजधानी के दर्जनभर निजी अस्पतालों में पहुंचकर ‘पत्रिका’ टीम ने निरीक्षण कर यह जानने की कोशिश की कि स्वास्थ्य विभाग के नोटिस का कितना असर हुआ? ताज्जुब की बात है कि हर अस्पताल में एक ही जवाब सुनने को मिला ‘आयुष्मान योजना के तहत नहीं हो रहा उपचार’।
आइएमए ने कहा- भुगतान के लिए जाएंगे कोर्ट
स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।आइएमए के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अशोक त्रिपाठी ने कहा कि हमारे सदस्य योजना के तहत पहले ही काम करने को तैयार थे। लेकिन, स्वास्थ्य विभाग ही इंश्योरेंस कंपनी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से चाहता था कि हम काम न करें।
स्वास्थ्य विभाग बकाया भुगतान के लिए 15 अक्टूबर तक आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक पूरा नहीं किया गया। पुराना भुगतान नहीं होता है तो हम कोर्ट और आइआरडीए का दरवाजा खटखटाएंगे। हॉस्पिटल बोर्ड के सदस्य डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि सदस्यों को कहा था कि एक-एक केस का क्लेम स्वास्थ्य विभाग को दें, ताकि स्वास्थ्य विभाग को लगे कि हम काम कर रहे हैं। लेकिन, सदस्यों ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग चाहे जो कुछ कर ले, हम काम नहीं करेंगे।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य आयुक्त आर प्रसन्ना ने बताया कि रायपुर और बिलासपुर के कुछ अस्पतालों को छोडक़र प्रदेशभर में आयुष्मान योजना के तहत मरीजों का उपचार हो रहा है। जो अस्पताल काम नहीं कर रहे हैं, उम्मीद है कि कल से काम करने लगेंगे।