लइकामन से बुता करवई कतेक सही हे?
लइकामन के दुरदसा ल रोकव

ननकू ह अपन नाननुक टूरा ल घर ले लेगिस अउ गौंटिया ल कहिस- ऐला गरवा चराय बर रख लव मालिक। गौंटिया ह खुस होगे। दस बछर के लइका ल ननकू ह बनी म लगा दिस। बछरभर म एकोकन धान अउ पइसा मिल गे। ननकू खुस, लइका ह कइसनो करय, मरे ते बांचे।
आज जम्मो डहर इही हाल हे। खेले-कूदे के बेरा म लइकामन मेहनत-मजूरी करके अपन भविस्य ल दांव म लगा देथें। दाई-ददामन ल पइसा ले मतलब हे। वोहूमन काय करंय, हालात ह मजबूर कर देथे। बालस्रम कानून के मुताबिक चौदा बछर ले पहिले मजरी या बुता करवई ह जुरूम हरय। फेर ये कानून नांवभर के रहि गे हे। ऐकर पालन कोनो नइ करंय। सहर म घलो इही हाल हे। हाथ म पइसा आय ले गलत संगत म घलो पर जथें। नसा-पानी, अपराध करे बर धर लेथें। जादा के लालच म जुरुम के चिखला म धंसत जाथें। जवान होथे त वापिस आय के रद्दा नइ बांचय। अइसन म सासन-परसासन ल बालस्रम कानून ल जोरदार ढंग ले अमल म लाय बर चाही। घर-परिवार, गांव-समाज सबो ल समझाय बर चाही। बाल मजदूरी करवइयामन के सामाजिक बहिस्कार करे बर चाही।
लइकामन के दुरदसा ल रोकव
आ जकाल नाननान लइकामन सुरक्छित नइये। वोकरमन उपर बड़ जुलुम होवत हे। वोकरमन के उपेक्छा अउ सोसन होवत हे। सरकार अउ समाज के जिम्मेदारी होथे के लइकामन चुस्त-दुरुस्त, तंदुरुस्त अउ सुरक्छित रहंय। एक डहर कतकोन घर-परिवार म सियानमन काम-बूता म बाहिर निकल जथें अउ लइकामन अक्केला पर जथें। दूसर डहर कतकोन परिवार ह गरीबी के सेती मजबूरी म लइकामन से काम-बूता करवाथें। दाई-ददामन लइकामन उपर धियान नइ देवंय। लइकामन से गुस्सा म बात करथें। कतकोन पइत लइकामन से मारपीट करथें। लइकामन उपर जादा बंदिस लगाय ले वोमन गलत संगत म पर जथें। तेकर सेती घलो बाल सोसन अउ बाल अपराध बाढ़त हे।
बाल सरमिकमन के रोजीृ-रोटी बर भटकई, बचपन म कठोर मेहनत करई, सिक्छा ले दूरिहई के कतकोन कारन हो सकथे। फेर, मूल कारन तो ऐमन ले हीनता के भावना से देखई अउ वोकरमन के उपेक्छा करईच ह आय। बाल सरमिक लइकामन ल बढिय़ा सिक्छा देय, पुनरवास करे के सपना तो सरकार ह देखाथे, फेर पूरा नइ करय।
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