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इस्कूल आ पढ़े बर, जिनगी ल गढ़े बर

locationरायपुरPublished: Jul 02, 2018 09:50:31 pm

Submitted by:

Gulal Verma

नोनी सिक्छा के गोठ

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इस्कूल आ पढ़े बर, जिनगी ल गढ़े बर

पढ़ई-लिखई जिनगी के जेवर हरे। नोनी होवय त बाबू होवय, पढ़ई-लिखई दूनों बर जरूरी हवय। आज के जुग म त पढ़ई- लिखई के अब्बड़ महत्तम हव। पढ़ई-लिखई म मनखे ल जम्मो संसार के जिनिस अउ बेवहार ल सीखे के गुन म मदद मिलथे।
नोनीमन बर त पढ़ई-लिखई उंकर जिनगी के सबले सुग्घर जेवर हरे। इही सिक्छा के जेवर ल पहिर के वोहा अपन तन-मन जम्मो ल संवार सकत हे। इही सिक्छा के जेवर ल नोनीमन अउ माईलोगनमन ल जरूर ऐला पहिरे बर चाही।
नारी-परानी के जम्मो अधिकार के रक्छा तको सिक्छा ले हो सकत हे, काबर सिक्छा ह सबले बढिय़ा रद्दा हवय। जेमा वोला जम्मो गियान हो जथे। सिक्छा ले नोनी-बाबू म भेद ह तको दूरिहा जथे। सिक्छा ले नारी -परानी के जिनगी म आगू बाढ़े के रद्दा तको बताय के अपन अधिकार बर जागरूक होय के गुन समा जथे।
पढ़ई-लिखई ह नारी-परानी ल अपन काम-बूता म तको मदद देथे। सिक्छित नारी ह कला, कौसल, सूचना बिग्यान जम्मो गियान- बिग्यान के जानकार हो जथे अउ जबर अपन आत्मबिसवास ले भर जथे। वोहा एक महतारी बन के जम्मो लइकामन के जिनगी ल सुग्घर संवारथे। छत्तीसगढ़ के लेखिका डॉ.सत्यभामा आडि़ल के गोठ ह सिरतोन हवय –
पढ़े-लिखे घर म सुद्बस्रघर बाती बरथे। अउ जिनगी के रद्दा म उजास होथे।
महतारी के हाथ म दीया देख के।
लइकामन घलो सुग्घर रद्दा म रेंगथे।
नारी-परानी ह करमठ करमचारी अउ देस के सफल नागरिक बन जथे। गाड़ी के दूठन पहिया होथे, वइसने पुरुस अउ नारी दूनों ह सिक्का के दूठन पहलू आय। देस के बिकास म दूनों के योगदान समान रूप म जरूरी हवय। दूनों एक- दूसर के बिना अधूरा हवय। एक- दूसर के बिना जिन्दा नइ रहि सकय।
नोनी के पढ़ई -लिखई के कतकोन फायदा हवय
– सिक्छा ले नारी अबला ले सबला बन के परिवार अउ समाज म विकास लानही।
– सिक्छा ले नारी परानी के सोच-बिचार के ह तको बाढ़ जाही अउ वोहा अपन अधिकार बर जागरूक होके अपन अधिकार ल पा जथे।
– नारी ह सिक्छा ले परिवार, समाज अउ देस म अपन पहिचान बना लेथे।
– पढ़ई- लिखई ले नारी ह आरथिक रूप ले तको मजबूत हो जथे। अपन हाथ म पइसा ल पा जथे। ककरो आगू हाथ पसारे के नौबत नइ आवय। घर म आय रुपिया-पइसा के कमी ल दूरिहा के सहयोग दे सकत हवय।
– नारी- परानी के पढ़ई- लिखई ह वोला लेखिका, सिक्छिका, डॉक्टर, वकील, बैग्यानिक तको बना देथे।
– नारी परानी ह सिक्छा ले आत्म स्वाभिमान अउ अपन पांव म खड़ा हो सकत हवय। जेकर ले वोकर जिनगी म खुसी- खुसी आगू बाढ़ सकत हे।
– नारी परानी के पढ़इ-लिखई ह वोला अपन अधिकार ल चिन्हे के गुन देथे अउ नारी ससक्तीकरन ल मदद मिलथे।
– नोनीमन के पढ़ई-.लिखई ह कभु अकारथ नइ जावय।
– नारी ससक्तीकरन ले देस-समाज-परिवार जम्मो अंग के बिकास हो सकत हवय।
नारी ससक्तीकरन ह देस के बिकास बर जरूरी हवय। सिक्छा ले नारी ससक्तीकरन आ सकत हे। भारत दुनियाभर म अपन परचम लहरा सकत हे।
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