scriptभाइयों की कलाई पर सजेगी बांस और गोबर से बनी राखियां | Bamboo and dung ash made on the wrist of brothers | Patrika News

भाइयों की कलाई पर सजेगी बांस और गोबर से बनी राखियां

locationरायपुरPublished: Jul 11, 2020 08:04:53 pm

Submitted by:

lalit sahu

अच्छी पहल: धमतरी की महिला स्व सहायता समूह की अभिनव पहल, सीएम की तारीफ

भाइयों की कलाई पर सजेगी बांस और गोबर से बनी राखियां

भाइयों की कलाई पर सजेगी बांस और गोबर से बनी राखियां

रायपुर. चीन के सामानों के बहिष्कार के बीच इस बार रक्षाबंधन में भाइयों की कलाई पर छत्तीसगढ़ में बनी अनोखी बांस और गोबर से तैयार राखियां सजेंगी। इन सुंदर और आकर्षक राखियों को धमतरी जिले की स्व-सहायता समूहों की महिलाएं तैयार कर रहीं हैं। बता दें कि हर साल राखियों के बाजार में भी चीन में बनी राखियां लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होती हैं। लेकिन इस बार गलवान मुद्दे के कारण लोग खुद ही चीन में बने सामान का बहिष्कार कर रहे हैं।
आद्य बंधन नाम से तैयार ये राखियां तैयार की गई हैं। तैयार राखियों में भाई-बहन के अलावा भैया-भाभी, भाभी-ननद के लिए अलग-अलग पैटर्न की राखियां बनाई जा रही हैं। इनकी कीमत 20 से 200 रुपए तक रखी गई है।
मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाली योजनाओं की गहन समीक्षा की

बच्चों के लिए छोटा भीम वाली राखी
ऐसा पहली बार हो रहा है कि बड़े पैमाने पर महिलाएं भाइयों के लिए नए तरीके से आकर्षक राखियां तैयार कर रही हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इनकी सराहना की है। मुख्यमंत्री की तारीफ से उत्साहित महिलाएं बड़े पैमाने पर चार तरह की राखियां बना रही हैं। ये राखियां आद्य बंधन नाम से तैयार की जा रहीं हैं। इनमें बच्चों के लिए राखियां, बांस की राखियां, गोबर की राखियां और भाई-भाभी के लिए कुमकुम-अक्षत बंधन राखियां बनाई जा रही हैं। इन राखियों की खासियत यह है कि बच्चों की राखी को क्रोशिया के एम्ब्रायडरी धागों से तैयार किया जा रहा है, जिसे ओज राखी का नाम दिया गया है। इसमें मुलायम इरेजर, शार्पनर, की-चेन, छोटा भीम, गणेशा, सेंटाक्लॉज जैसी सुन्दर और सुगढ़ कलाकृतियों को शामिल किया गया है।

आय, जाति और निवास प्रमाण पत्र, घरों में ही प्रदान करने की सुविधा शुरू

165 महिलाएं जुटी हैं काम में

जिला पंचायत सीईओ. नम्रता गांधी ने बताया कि कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य के निर्देश पर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के ‘बिहान’ योजना अंतर्गत जिले के छाती गांव स्थित मल्टी युटिलिटी सेंटर में महिलाओं को राखी बनाना सिखाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रशिक्षण के बाद छाती के अलावा नगरी विकासखण्ड के छिपली तथा कुरूद के नारी गांव के कुल 20 समूहों की 165 महिलाएं राखी तैयार करने में जुट गई हैं। इन समूहों को अब तक 1200 नग राखियों के लिए ऑर्डर मिल चुका है।
मक्का बन गई मुनाफे की खेती

इको फ्रेंडली भी हैं राखियां
पर्यावरणीय सुरक्षा को देखते हुए बांस के बीज से राखियां बनाई जा रही हैं। भाई-बहन के साथ-साथ ननद-भाभी के रिश्ते को मजबूत बनाने कुमकुम-अक्षत और बांस की जोड़ीदार राखी बनाई जा रही हैं। बांस की हस्त निर्मित राखी, बीज राखी, भाभी-ननद राखी और बच्चों की नवाचारी राखियों को लोगों की अच्छी प्रतिक्रिया मिलनी शुरू हो गई है। इससे निश्चित तौर पर महिलाओं का आत्मबल बढ़ेगा और वह स्वालम्बन की ओर अग्रसर होंगी।

ट्रेंडिंग वीडियो