बस यात्रियों पर बोझ
रायपुरPublished: Jun 28, 2018 07:00:51 pm
बस किराया में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी
रायपुर। आसमान छूती महंगाई के दौर में बस किराए में मामूली सी बढ़ोतरी पहाड़ जैसे भारी बोझ के समान है। पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, खाद्यान्न इत्यादि तमाम जरूरी साधन-सुविधाएं महंगी होते जा रही हैं। आम जनता महंगाई से त्रस्त-पस्त है। ऐसे में बस किराए में बढ़ोतरी चिंता की बात है। प्रदेश सरकार ने बस किराया में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। पेट्रोल-डीजल की मूल्यवृद्धि के बहाने दबाव डालकर बस संचालकों ने किराया में वृद्धि करवा ली। बस किराए बढऩे से जनता पर महंगाई का बोझ और बढ़ जाएगा। जब निजी बस संचालकों को घाटा हो रहा है, तो सरकार खुद ही बस चलवाती! निजी बस मालिकों के अलावा किसे फर्क पड़ता! लेकिन नई दरों से प्रदेशभर की जनता को फर्क पड़ेगा। सरकार को बस यात्रियों का दुख-दर्द सुनना चाहिए, उनकी परेशानियां देखनी चाहिए तो पता चलेगा कि बस किराए में जो बढ़ोतरी की गई है, वह कितनी वाजिब है।
यात्रियों को निजी बस संचालकों की मनमानी सहनी पड़ रही है। सरकार ने राज्य परिवहन निगम भंग कर सही किया या गलत यह तो पता नहीं, लेकिन निजी बस संचालकों ने जरूर सरकार को झुका दिया। विडम्बना है कि प्रदेश सरकार ने बस किराया बढ़ाने पर मुहर तो लगा दी, लेकिन यात्रियों को होने वाली परेशानियों के बारे में एक शब्द भी नहीं बोला। कुछ नहीं तो यात्रियों से दुव्र्यवहार व ओवरलोड ही रुक जाता, तो शायद यात्रियों को अधिक किराया देने का मलाल कुछ कम होता। दुर्घटनाएं रोकने के लिए भी कोई हिदायत नहीं दी गई। पेट्रोल-डीजल की दरों में वृद्धि से बस संचालक ही नहीं, बल्कि सभी वर्ग परेशान हैं। सरकार आखिर क्या कर रही है, बस किराया बढ़ाने के सिवाय? क्या यात्री सिर्फ निजी बस संचालकों की तिजोरियां भरते रहें और वे यात्री सुविधाओं व सुरक्षा की अनदेखी करते रहें?
बहरहाल, सरकार और निजी बस संचालकों की नीति जनहितैषी और नीयत साफ होनी चाहिए। बस किराया बढ़ाने के बजाय पेट्रोल-डीजल मेंं वैट कम कर लोगों को रियायत देनी चाहिए। परिवहन सुविधा जितनी सुलभ, सस्ती, सुरक्षित व आरामदेय हो, उतना ही अच्छा है।