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मूक-बधिर विद्यार्थी गढ़ रहे ईको-फ्रेंडली गणेश की सुंदर प्रतिमाएं

locationरायपुरPublished: Aug 22, 2020 08:29:24 pm

Submitted by:

lalit sahu

ऑनलाइन प्रशिक्षण कक्षाओं में तराशी जा रहीं दिव्यांग प्रतिभाएं

मूक-बधिर विद्यार्थी गढ़ रहे ईको-फ्रेंडली गणेश की सुंदर प्रतिमाएं

मूक-बधिर विद्यार्थी गढ़ रहे ईको-फ्रेंडली गणेश की सुंदर प्रतिमाएं

रायपुर. कोविड-19 महामारी ने लोगों के लिए नई परिस्थितयां उत्पन्न कर दी हैं। इस दौर में लोगों को पारिस्थितिक संतुलन का महत्व समझ आने लगा है। ऐसे में स्थानीय वस्तुओं के लिए लोगों का रूझान बढ़ रहा है। लोग अपने घर से ही आजीविका के कई साधन तलाश रहे हैं। इन परिस्थितियों के लिए दिव्यांग विद्यार्थियों को भी तैयार किया जा रहा है। संक्रमण से बचाव के लिए शिक्षण संस्थाएं बंद होने के कारण समाज कल्याण विभाग द्वारा रायपुर में संचालित दिव्यांग महाविद्यालय द्वारा ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से दिव्यांग विद्यार्थियों की प्रतिभाओं को तराशकर उनके हुनर को निखारने का काम किया जा रहा है।
दिव्यांग बच्चे अपने-अपने घरों में रहते हुए शिक्षकों की मदद से विडियो कॉल के माध्यम से विभिन्न कलाकृतियां बनाना सीख रहे हैं। गणेशोत्सव के लिए शिक्षक चंद्रपाल पांजरे और कृष्णा दास ने विद्याथियों को मिट्टी से इको फ्रेंडली गणेश की मूर्तियां बनाना सिखाया है। इससे बच्चों में रचनात्मकता के विकास के साथ उनके समय का सदुपयोग भी हो रहा है। आगे चलकर उनका यही हुनर उनके लिए आत्मनिर्भरता का पर्याय बन सकता है। राजधानी के माना स्थित दिव्यांग महाविद्यालय इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से मान्यता यह छत्तीसगढ़ का एकमात्र दिव्यांग महाविद्यालय है जहां दृष्टिबाधित, अस्थिबाधित बच्चे शास्त्रीय गायन और तबला बादन तथा मूक-बधिर चित्रकला की विधिवत शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
दिव्यांग महाविद्यालय में मूर्तिकला सीख रहे 17 विद्यार्थियों में से कुम्हारी निवासी बी.एफ.ए. (बैचलर ऑफ फाइन आटर््स) की मूकबधिर छात्रा नेहा दुबे और कोरबा निवासी मूकबधिर छात्र हेमप्रकाश साहू ने भी ऑनलाइन कक्षा में सीखकर गणेश की सुंदर प्रतिमाएं तैयार की है। नेहा के पिता पी.एन.दुबे ने बताया कि नेहा ने घर के पास रखी काली मिट्टी से गणेश की दो प्रतिमाएं बनाई है। जिसमें से एक प्रतिमा 200 रुपए में बिक गई और एक प्रतिमा की घर में पूजा कर रहे हैं। अभी कॉलेज बंद है ऐसे में नेहा वॉट्सअप और वीडियो कॉल के माध्यम से अपने शिक्षकों से मार्गदर्शन लेती रहती है। वह सभी प्रकार की प्रतिमाएं बना लेती है, नहा का ये हुनर उसके भविष्य के लिए सहायक होगा।
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