रायपुर

सावधान : ये लोग रहे पटाखों से दूर

पटाखों से दूर रहें अस्थमा मरीज, डॉक्टर की सलाह से ही लें दवा

रायपुरOct 25, 2019 / 01:56 am

lalit sahu

सावधान : ये लोग रहे पटाखों से दूर

रायपुर. पटाखों में 75 प्रतिशत पोटैशियम नाईट्रेट, 15 फीसदी कार्बन और 10 परसेंट सल्फर होता है और जब उन्हें जलाया जाता है तो नुकसानदायक गैस जैसे सल्फर डाई ऑक्साईड, कार्बन डाई ऑक्साईड, कार्बन मोनो ऑक्साईड, मैंग्नीज़ और कैडमियम निकलती हैं जो फेफड़ों की नाजुक नलियों में जलन पैदा करती हैं और अस्थमा या सांस की किसी अन्य समस्या वाले लोगों की सेहत को खराब कर देती हैं। यह कहना है रायपुर शहर के डॉक्टरों का।

इन्हेलेशन थेरेपी अस्थमा के इलाज के लिए अपनाए जा रहे
डॉ. रविंद्र के पंडा विभागाध्यक्ष छाती रोग विभाग मेडिकल कॉलेज ने कहा, ज्यादातर अस्थमा मरीजों की स्थिति दवाई लेने के बाद भी गंभीर बनी रहती है और उन्हें दवाई के साइड इफेक्ट भी झेलने पड़ते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए ज्यादा प्रभावशाली विकल्प जैसे इन्हेलेशन थेरेपी अस्थमा के इलाज के लिए अपनाए जा रहे हैं। डॉ गिरिश अग्रवाल ने बताया, प्रदूषण में कुछ घंटे रहने से ही फेफड़ों की बीमारी बढ़ जाती है और अस्थमा का अटैक आ सकता है। इसलिए जरूरी है कि आप इसके लिए पहले से ही तैयार रहें।

टेबलेट्स एवं सिरप अस्थमा के नियंत्रण के लिए कम प्रभावशाली
डॉ. अशोक भट्टर ने बताया, सामाजिक सोच बल्कि स्टीरॉयड्स लेने का डर भी लोगों को इन्हेलर थेरेपी का उपयोग करने से रोकता है। उन्हें अक्सर यह नहीं मालूम होता कि इन्हेलर्स में पाए जाने वाले कॉर्टिकोस्टीरॉयड्स हमारे शरीर में प्राकृतिक रूप से बनने वाले स्टीरॉयड्स की प्रतिकृति होते हैं। डॉ. प्रदीप सिहारे ने कहा, टेबलेट्स एवं सिरप अस्थमा के नियंत्रण के लिए कम प्रभावशाली हैं। इनके द्वारा शरीर को साईड इफेक्ट का जोखिम भी होता है।

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