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अक्षत से भाई का तिलक
भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद आने वाला एक ऐसा उत्सव है, जो भाई के प्रति बहन के अगाध प्रेम और स्नेह को अभिव्यक्त करता है। इस दिन बहन भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं। इस दिन भाई-बहन का यमुनाजी मेें स्नान करना शुभ है। ज्योतिषों व पंडितों के मुताबिक भाई दूज के दिन बहनें रोली और अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं। इसके बदले में भाई अपनी बहन को कुछ उपहार देता है।
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तिलक का शुभ मुहूर्त
भाई दूज तिलक का मुहूर्त – दोपहर 1:11 बजे से 3:23 बजे तक (29 अक्टूबर 2019)
द्वितीय तिथि प्रारंभ – 21:07 बजे से (अक्टूबर 2019 )
द्वितीय तिथि समाप्त – 21:20 बजे तक (अक्टूबर 2019 )
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भाई दूज पर ऐसा करें
पंडितों के मुताबिक भाईदूज के दिन सबसे पहले नहाकर तैयार हो जाएं। उसके बाद आटे का चौक तैयार कर लें। अगर आपने व्रत रखा है तो सूर्य को जल देकर अपना व्रत शुरू करें। शुभ मुहूर्त आने पर भाई को चौक पर बिठाएं और उसके हाथों की पूजा करें। सबसे पहले भाई की हथेली में चावल का घोल लगाएं। फिर उसमें सिंदूर, पान, सुपारी और फूल इत्यादि रखें। अंत में हाथों पर पानी अर्पण कर मंत्रजाप करें। इसके बाद भाई का मुंह मीठा कराएं और खुद भी मीठा खाएं।
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यमराज के नाम का चौमुख दीया जलाएं
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को शाम के समय यमराज के नाम का चौमुख दीया घर के बाहर जरूर जलाएं। मान्यता है कि इस दिन अगर बड़े से बड़ा पशु काट भी ले तो यमराज के दूत भाई के प्राण नहीं ले जाएंगे। इसके अलावा जिस गोले या नारियल पर तिलक करते हैं, उसे ऊपर से काटकर उसमें कसार और पंचमेवा भरें और उसे बंद कर कलावे से बांध दें और अपने भाई के ऊपर से सात बार उतारकर पीपल की जड़ में रख दें।