scriptदो साल रायपुर में रहीं, संगीत के महाराथियों के साथ गाया गीत, अब हैं पॉपुलर सिंगर | Bhajan singer Poonam Bhardwaj at Raipur | Patrika News

दो साल रायपुर में रहीं, संगीत के महाराथियों के साथ गाया गीत, अब हैं पॉपुलर सिंगर

locationरायपुरPublished: Apr 15, 2018 10:56:38 am

Submitted by:

Tabir Hussain

शादी के बाद बनाया कॅरियर और कामयाबी भी हासिल की।

poonam bhardwaj
ताबीर हुसैन @ रायपुर . मैंने शादी के बाद अपना कॅरियर संगीत में बनाया। इसके लिए मेरे पति का बहुत बड़ा सहयोग है। उन्होंने मुझे बहुत एनकरेज किया हमेशा ही साथ दिया। कुछ परेशानियां तो आईं पर वो भी निकल गईं। मैं मानती हूं कि उत्सव और खुशी बाहर मिलती है पर आनंद भीतर की यात्रा है यदि वो प्राप्त हो गया तो फिर कहीं कोई कष्ट नहीं। यह कहना है प्रसिद्ध भजन गायिका पूनम भारद्वाज का। एक निजी कार्य के चलते वे रायपुर आईं। उन्होंने 40 से ज्यादा डिवोशनल एलबम्स किए हैं। वे कई म्यूजिक कंपनियों के साथ और पांच से ज्यादा भाषाओं भजन गा चुकी हैं। सुरेश वाडेकर के साथ एल्सबम और शोज किए हैं। रायपुर में करीब दो साल तक रह चुकी हैं। यहां वीडियो वल्र्ड के लखी सुंदरानी के करीब 14 एलबम में गाने गए। बैंकों के जन धन योजना के लिए गीत गाया है जो गुजरात की सीएम आनंदी बेन पटेल ने लांच किया था। प्रस्तुत है बातचीत के अंश।

भजन में आध्यात्म शामिल है?
पहली बात मैं उस बात को नहीं मानती की भजन गायकी कुछ अलग है। जिसको संगीत का स मिल गया वह कुछ भी गाए। मैं भी आशाजी, लताजी के साथ श्रेया, अलीशा, मोनाली ठाकुर तक के गीत गाती हूं। यदि इंसान अच्छा है तो फिर भजन हो या गीत भाव अपने आप आएगा। आध्यात्म मन की शक्ति है जो ब्रह्मांड से हमें लेनी है उसके लिए मन का पात्र साफ और खाली होने चाहिए।

संगीत की शिक्षा कहां से ली?

संगीत बचपन से मिला। याद नहीं किस उम्र से गाना शुरू किया। स्कूल में म्यूजिक विषय था। बाद में कई संगीत विद्यालयों से सीखा। गायक हेमन्त कुमार के दामाद गौतम मुखर्जी से सीखा। रायपुर में बसंत टिमोथी से सीखा। सबसे बड़े गुरु रविन्द्र जैन हैं। उनके साथ बहुत स्टेज शो किए। एलबम्स में गाया। अनूप जलोटा,अनुराधा पौडवाल, साधना सरगम, मोहम्मद अजीज के साथ बहुत एलबम किए।
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महारथियों के साथ गाकर क्या सीखा?

महारथियों के साथ यही सीख मिलती है कि कड़ी मेहनत करो। हम्बल रहो। अपना काम खामोशी से करते रहो। सबसे ज्यादा दादू यानी रविन्द्र जैन जी से सीखा। वो एक विद्वान थे।

सोशल मीडिया से मिली तरक्की को किस नजर से देखती हैें?

बहुत जल्दी तरक्की कभी भी तरक्की नहीं होती। संगीत में तो बिल्कुल नहीं। क्योंकि कुछ दिन की पॉपुलैरिटी और उस से अपनी जीविका चलानी 2 अलग बातें हैं। संगीत सीखने वाला ताउम्र साधक होता है इसलिए सीखते रहने की इच्छा और पैशन बहुत जरूरी है। कामयाबी मिलने से ज्यादा उसे संभाल कर रखना जरूरी है।
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