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भूपेश कैबिनेट का बड़ा फैसला: जमीनों के दाम 30% तक घटे, पर पंजीयन शुल्क में हुई बढ़ोतरी

locationरायपुरPublished: Jul 20, 2019 12:05:14 pm

Submitted by:

Akanksha Agrawal

राज्य सरकार ने जमीन और मकान के बाजार मूल्य गाइडलाइन दरों में 30 प्रतिशत की कटौती का फैसला किया है। सीएम भूपेश ने मंत्री परिषद् की बैठक में इसे मंजूरी दे दी।

CM भूपेश बघेल ने किया मंत्रियों में बड़ा फेरबदल पढ़े किस मंत्री को मिला....

CM भूपेश बघेल ने किया मंत्रियों में बड़ा फेरबदल पढ़े किस मंत्री को मिला….

रायपुर. राज्य सरकार ने जमीन और मकान के बाजार मूल्य गाइडलाइन दरों में 30 प्रतिशत की कटौती का फैसला किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh baghel) की अध्यक्षता में शुक्रवार रात हुई राज्य मंत्रिपरिषद (State cabinet) की बैठक में इसकों मंजूरी दे दी गई।

बताया गया कि पूरे प्रदेश में रियल एस्टेट के बाजार मूल्य गाइडलाइन दरों में 30 प्रतिशत की कमी की जा रही है। इसके साथ ही पंजीयन शुल्क 0.8 प्रतिशत से बढ़ाकर गाइडलाइन मूल्य का 4 प्रतिशत कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ में रियल एस्टेट में स्टाम्प ड्यूटी(Stamp Duty in Real Estate) , पंजीयन शुल्क आदि पर 7.05 प्रतिशत कर भार था। पंजीयन शुल्क बढ़ाने से ये कर भार 10.25 हो जाएगा। सरकार का दावा है, इस वृद्धि के बावजूद सौदे के पक्षकारों के भुगतान में मामूली अंतर आएगा। अधिकारियों ने मंत्रिपरिषद को बताया कि नई व्यवस्था से रियल एस्टेट और निर्माण क्षेत्र के विकास में तेजी आएगी। लोगों को किफायती दरों पर मकान मिल पाएगा और इस क्षेत्र में लोगों के लिए रोजगार के रास्ते भी खुलेंगे।

अफसरों का कहना है कि पिछले तीन वर्षों में दस्तावेजों के पंजीयन से होने वाले राजस्व आय में कमी आई है। इसकी एक वजह कई जगहों पर संपत्ति की गाइडलाइन दरों के बजाय मूल्य से अधिक होना पाया गया। ऐसे में इसको युक्तियुक्त किया जाना जरूरी हो गया था।

दूसरी स्थिति में यदि जमींन का बाजार भाव 700 रुपए प्रति वर्गफीट है, वहीं सरकारी गाइडलाइन दर 1000 रुपए है। इस स्थिति में 30 फीसदी की राहत के बाद सरकारी गाइडलाइन दर 700 रुपए होगी। बिल्डर बाजार भाव में ग्राहकों से एग्रीमेंट कराता है। इस स्थिति में ग्राहकों को जहां रजिस्ट्री शुल्क 7.05 फीसदी की दर से उसे 70 हजार 500 रुपए देने पड़ते थे, उसे ही अब 4 फीसदी की वृद्धि की वजह से उसे 71 हजार 750 रुपए अदा करना होगा। कुल मिलाकर इससे ग्राहकों को कोई खास राहत नहीं मिलेगी, बल्कि यह बाजारा मूल्य और सरकारी गाइडलाइन रेट में विषमता दूर करने के लिए किया गया है। यदि पंजीयन शुल्क में वृद्धि नहीं की जाती तो यह ग्राहकों के लिए निश्चित तौर पर फायदे का सौदा होता।

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