पैरेंट्स ने खुले दिल से स्वीकारा
सुशांत ने बताया कि छोटे परदे की शुरुआत यूटीवी के चर्चित शो बिंदास से हुई। वर्ष 2014 में रोम में हुए मिस्टर गे वल्र्ड कॉम्पीटिशन में सबसे लोकप्रिय गे पुरुष, मिस्टर आर्ट, मिस्टर स्पोट्र्स और पीपल च्वाइस अवॉर्ड मिला। मैंने अपनी स्कूलिंग बांद्रा के आर्य विद्या मंदिर से और आगे की पढ़ाई मीठीबाई कॉलेज से किया है। पोस्ट ग्रैजुएशन (साइकोलॉजी में) मुंबई यूनिवर्सिटी से की। इसके अलावा और भी कई कोर्सेस मैंने किए हैं। मैंने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया और इग्नू से भी पढ़ाई की है। पढ़ाई का यूज ग्लैमर में नहीं लेकिन अपनी कम्युनिटी के लिए कर रहा हूं। मेरे पिता कस्टम विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर रहे हैं और मां कॉर्पोरेट सेक्टर में उच्च पद पर रह चुकी हैं। ये सही है कि हमारे देश में गे/लेस्बियन होकर सरवाइव करना बहुत मुश्किल है। ऐसे में मेरे पैरेंट्स ने खुले दिल से मुझे स्वीकारा।बिगबॉस का बर्थडे रायपुर में
सुशांत ने कहा कि रविवार को बिगबॉस के 13वें सीजन की शुरुआत हुई और मैं उसका बर्थडे रायपुर में मना रहा हूं। इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है। रायपुर की स्वच्छता और इंसानियत से मेट्रो सिटीज को सीखने की जरूरत है। बिग बॉस से मैंने सीखा है कि अलग-अलग तरह के लोग फैमिली जैसे रहते हैं। मैं सोचता हूं रियल लाइफ में भी ऐसा रहा जाए।ऑडियंस को पता चल जाती है ओवर एक्टिंग
चूंकि यह रियलिटी शो है। अगर आप ज्यादा ड्रामा करते हैं तो ऑडियंस को पता चल जाता है कि ओवरएक्टिंग कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि इस बार भी हम कई ऐसे यंग टैलेंट को देखेंगे जिनमें बहुत हुनर है। आपके जेंडर से कोई फर्क नहीं पडऩा चाहिए। आपके हुनर के आगे जेंडर बौना है।लड़ाई देखना होता तो रेसलिंग या डब्ल्यूडब्ल्यूपैरेंट्स ने खुले दिल से स्वीकाराएफ देखते
एक सवाल के जवाब में सुशांत ने कहा कि लोगों को एंटरटेनमेंट चाहिए। दिनभर के बाद घर लौटकर जब कोई टीवी खोलता है कि तो मनोरंजन चाहता है। अगर उसे लड़ाई-झगड़ा ही देखना होता तो रेसलिंग या डब्ल्यूडब्ल्यूएफ देखते। ये जरूर है कि टॉस्क पूरा करने के चक्कर में कंटेस्टेन की बीच टेंशन क्रिएट हो जाती है। झगड़े का मतलब सिर्फ प्लेटें तोडऩा नहीं होता।