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रमन का बड़ा फैसला: इन बच्चों के मेडिकल-आईआईटी में पढऩे पर खर्चा देगी सरकार

locationरायपुरPublished: Aug 14, 2017 04:15:00 pm

Submitted by:

Lalit Singh

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने साइंस कॉलेज मैदान में इसकी घोषणा की। वे वन विभाग वन मड़ई का उद्घाटन करने आए थे।

CM Raman Singh
रायपुर. तेंदूपत्ता श्रमिकों के बच्चों को मेडिकल, आईआईटी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई का पूरा खर्च राज्य सरकार देगी। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने रविवार को साइंस कॉलेज मैदान में इसकी घोषणा की। वे वन विभाग वन मड़ई का उद्घाटन करने यहां आए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए जितनी योजनाएं छत्तीसगढ़ में चल रही है। उतनी देश की किसी भी राज्य में नहीं है। राज्य के वनवासी बहुल क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और अन्य जरूरी सुविधाओं का तेजी से विकास हो रहा है।
अब वह दिन दूर नहीं जब शिक्षा सुविधाओं का लाभ उठाकर इन क्षेत्रों के बच्चे भी डॉक्टर इंजीनियर, आईएएस, आईपीएस जैसे प्रशासनिक अधिकारी बनेंगे और छत्तीसगढ़ सहित देश की सेवा करेंगे। यह आयोजन मुख्यमंत्री डॉ़. रमन सिंह के ५ हजार दिन पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित किया गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विधान सभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल और वन मंत्री महेश गागड़ा ने भी संबोधित किया। समारोह में प्रमुख रूप से गृहमंत्री रामसेवक पैकरा, लोकनिर्माण मंत्री राजेश मूणत समेत बडी़ संख्या में जनप्रतिनिधि और वन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
सीएम के सारथी बने मंत्री गागड़ा
मुख्यमंत्री के पहुंचने की सूचना मिलते ही वन मंत्री बैटरी वाली कार लेकर उनके पास पहुंचे। सीएम और विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल दोनों वाहन में सवार हो गए। उसको गागड़ा खुद चलाकर मंच तक ले गए।
मंत्री मूणत ने वैद्य से पूछा हवा का रूख

लोकनिर्माण मंत्री राजेश मूणत ने मड़ई में आए वैद्य से नब्ज दिखाते हुए पूछा, हवा का रूख किस ओर है। मूणत का नब्ज टटोलने के बाद वैद्य ने उन्हे स्वस्थ बताते हुए बीमारियों से बचने के लिए कुछ सलाह दी। वह वन विभाग द्वारा लगाए गए स्टॉल का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे पहुंचे थे।
चरण पादुका का उड़ा था मजाक

मुख्यमंत्री ने चरण पादुका योजना का जिक्र करते हुए कहा कि शुरूआत में इसका मजाक उड़ाया गया था। लेकिन, श्रमिकों की समस्या को उन्होंने महसूस किया। तेन्दूपत्ता संग्रहण के दौरान उनके पांवों में कांटे चुभ जाते थे। इसके कारण कई बार उनके पैरों में गंभीर जख्म हो जाता था। इस समय १३ लाख तेन्दूपत्ता संग्राहकों को चरण पादुका योजना का लाभ मिल रहा है।
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