
राजकुमार सोनी@रायपुर. 'संविधान का तात्पर्य भारत के संविधान से है।'छत्तीसगढ़ विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन सम्बंधी नियमों की पुस्तक में उपरोक्त वाक्य साफ तौर पर लिखा दिखाई देता है। इसी पुस्तक के अध्याय एक के क्रमांक 2 के 'छ' में यह भी उल्लेखित है कि मंत्री का तात्पर्य मंत्रिपरिषद के किसी सदस्य, राज्य मंत्री, उपमंत्री या संसदीय सचिव से हैं। अगर विधानसभा की इस पुस्तक की नियमावली की मानें, तो संसदीय सचिव सीधे तौर पर मंत्री ही हैं। इस तरह से प्रदेश में कुल 13 नहीं, 24 मंत्री काम कर रहे हैं।
दूसरी ओर, भारत के संविधान के अनुच्छेद 164 (1-क) के उपबंध में कहा गया है कि कुल विधायकों में से 15 प्रतिशत को ही मंत्रिमंडल में लिया जा सकता है। छत्तीसगढ़ में 90 विधायक हैं, यहां मंत्रियों की संख्या 13 से ज्यादा नहीं हो सकती, लेकिन मंत्री शब्द की संवैधानिक परिभाषा को अगर मानें, तो संसदीय सचिव भी मंत्री ही हैं, और ऐसे में मंत्रियों की कुल संख्या 24 हो जाती है। संसदीय सचिवों के दोहरे लाभ को लेकर अदालत में विवाद चल रहा है, लेकिन उनके मंत्री होने की स्थिति को संविधान में संशोधन करके ही बदला जा सकता है। सरकार को संसदीय सचिवों को मंत्री होने की परिभाषा से अलग करना होगा।
बस... स्वेच्छानुदान पर लगी रोक
प्रदेश में अवैधानिक ढंग से कार्यरत ऐसे ही 11 मंत्रियों अर्थात संसदीय सचिवों के खिलाफ पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर रखी है। अकबर का कहना है कि एक देश एक संविधान होने के बावजूद छत्तीसगढ़ में संविधान के नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हैं। सरकार जिन्हें संसदीय सचिव बता रही है, दरअसल वे मंत्रियों की तरह की कार्यरत हैं। यहां तक सरकार उन्हें छत्तीसगढ़ मंत्री (वेतन तथा भत्ता) अधिनियम 1972 के तहत ही वेतन, कर्मचारी, दैनिक भत्ता, निर्वाचन क्षेत्र का भत्ता, कार्यालय भवन (मंत्रालय में चैंबर) आवास की सुविधा प्रदान कर रही है।
अकबर का कहना है कि इस मामले में कई मर्तबा राज्यपाल को जानकारी दी गई थी, लेकिन राजभवन ने संज्ञान ले लिया होता, तो भाजपा की सरकार अल्पमत में आ जाती। अकबर का कहना है सरकार ने संसदीय सचिवों को 70 लाख रुपए का स्वेच्छानुदान बांटने की छूट भी दे रखी थी, मगर न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद स्वेच्छानुदान पर रोक लगी है। कांग्रेस के प्रवक्ता शैलेश नितिन त्रिवेदी का आरोप है कि रमन सिंह की सरकार अब अपनी साख बचाने की जुगत में लगी हुई है और प्रशासनिक-राजनीतिक मशीनरी के दुरुपयोग में लगी हुई है।
मंत्री हम भी मानते हैं
विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन सम्बंधी नियमावली में संसदीय सचिवों को मंत्री ही माना गया है। हम भी उन्हें मंत्री ही मानते हैं। संसदीय सचिव किसी न किसी मंत्री से सम्बद्ध ही हैं। विधानसभा सत्र में कई बार जब मंत्री जवाब नहीं देते, तो उनकी जगह उनसे सम्बद्ध संसदीय सचिव ही जवाब देते हैं।
चंद्रशेखर गंगराड़े, सचिव, छत्तीसगढ़ विधानसभा
Published on:
07 Apr 2018 01:17 pm
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