इस दौरान वनोपज का संग्रहण करने वाले आदिवासियों के जीवन और जीवकोपार्जन में संतुलन बनाए रखना किसी चुनौती से कम नहीं है। इस स्थिति में वनवासी परिवारों को कुछ राहत मिल सके इसके लिए राज्य सरकार ने महुआ खरीदी की दर में लगभग 60 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है। अब यहां महुआ की खरीदी 30 रुपये प्रति किलो की दर से होगी।
आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी में कहा गया है कि राज्य सरकार कोरोना की महामारी के बीच हर वर्ग की सुविधा और उसे रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है। वहीं वनोपज का संग्रहण करने वालों को भी राहत मिले इस दिशा में प्रयास जारी है। उसी क्रम में महुआ की दर बढ़ाने का फैसला हुआ है।
आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी के अनुसार एक तरफ जहां महुआ खरीदी की दर में इजाफा किया गया है। वहीं, राज्य में 13 लाख तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को लगभग 650 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान संग्रहण के पश्चात किया जाएगा। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से कोरोना के इस संकट काल में वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को उनकी मेहनत का अधिक लाभ मिल सकेगा।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ लघु वनोपजों से परिपूर्ण है। वनांचल क्षेत्रों में आदिवासियों के लिए महुआ जीवकोपार्जन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसके संग्रहण के बाद महुआ को सुखा कर समर्थन मूल्य पर बेच कर आदिवासी अपनी आजीविका चलाते हैं। यहां इस मौसम में सुबह होते ही वनवासी टोकरी लेकर जंगल की ओर जाते हैं और जंगलों में वनवासियों की चहलपहल आम हाती है। भरी दोपहरी तक महुआ फूलों का संग्रहण करना और फिर उसे धूप में सुखाना, ये आदिवासियों की नियमित दिनचर्या में शामिल है।
राज्य सरकार पहले महुआ फूलों की खरीदी 18 रुपये प्रतिकिलो ग्राम के दर से करती थी, लेकिन महामारी के संकट को देखते हुए वनवासियों को भी राहत प्रदान की जा रही है। यही कारण है कि अब महुआ फूल 30 रुपये प्रतिकिलो ग्राम की दर से सरकार खरीदेगी। सरकार के इस अहम फैसले से आदिवासियों को उनकी मेहनत का अधिक मूल्य मिल सकेगा।