अघोषित विद्युत कटौती
शिकायत करने पर भी विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया जाता

छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर व राजधानी रायपुर सहित कई प्रमुख शहर भी अघोषित कटौती से मुक्त नहीं है। विद्युत वितरण कंपनी द्वारा मनमाने ढंग से जब चाहे बिजली काट दी जाती है। इससे लोगों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। शिकायत करने पर भी विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया जाता। जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा विद्युत कटौती के लिए तरह-तरह के बहाने बनाना उनकी फितरत सी बन गई है। कंपनी द्वारा सुचारू रूप से विद्युत आपूर्ति के लिए कोई सार्थक पहल नहीं की जाती। सुबह-शाम बिजली कटौती से कई क्षेत्रों में जलापूर्ति का भी संकट खड़ा हो जाता है। लोगों को पेयजल के लिए इधर-उधर भागदौड़ करनी पड़ती है।
इस समय नवरात्रि, दुर्गा पूजा, दशहरा जैसे तमाम पर्व सम्मुख होने के बावजूद पुराने व जर्जर तारों को बदलने के नाम पर तो कभी फाल्ट ठीक करने के नाम पर अक्सर चार से छह घंटे तक बिजली काट दी जाती है। इससे लोगों को परेशानियों से दो चार होना पड़ता है। विद्युत वितरण कार्यालयों में बिजली आपूर्ति संबंधी किसी भी प्रकार की गड़बड़ी के लिए हेल्प सेंटर की व्यवस्था की गई है, लेकिन अफसरों की उदासीनता के चलते फोन के रिसीवर नहीं उठते। यही नहीं, कार्यालयों में जाकर मौखिक व लिखित शिकायत करने के बाद भी कर्मचारी गड़बड़ी दूर नहीं करते। बरसात के दिनों में ग्रामीण इलाकों में कई ट्रांसफार्मर जल गए, लेकिन अब तक तक ठीक नहीं किए गए। विद्युत वितरण कंपनी के अफसर गड़बडिय़ों को दुरुस्त करने के बजाय हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं। शिकायत के बावजूद गड़बडिय़ों को दूर नहीं किया जाता, जिसका खमियाजा आम नागरिकों को भुगतना पड़ता है। बिजली कटौती की समस्या से छोटे व मझौले उद्योग धंधे भी चौपट हो रहे हैं। शाम के समय शहरी क्षेत्रों में बिजली कटौती से व्यापारी वर्ग भी परेशान रहता है। नागरिकों का कहना है कि जब बिजली बिल का समय से भुगतान करते हैं तो बिजली कटौती क्यों?
बहरहाल, प्रदेश सरकार को बिजली की विकट समस्या के समाधान की दिशा में कारगर पहल करनी चाहिए। समय से जर्जर विद्युत तारों व ट्रांसफार्मरों को बदल देना चाहिए, ताकि आम नागरिकों को बिजली कटौती की समस्या से निजात मिल सके।
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