विद्युत कटौती से जनता परेशान
प्रदेश में विद्युत कटौती की समस्या से जहां आम जनता पस्त है, वहीं जिम्मेदार अधिकारी मस्त हैं। वे जनता की परेशानियों को दूर करने के लिए बंद एसी दफ्तरों व बंगलों से बाहर नहीं निकलना चाहते। आए दिन कभी मेंटेनेंस के नाम पर तो कभी अन्य कारणों से चार से छह घंटे बिजली काट दी जाती है, लेकिन उन्हें इससे कोई सरोकार नहीं है। बिलासपुर सहित प्रदेश के कई प्रमुख शहरों में सरप्लस बिजली का दावा करने वाली सरकार २४ घंटे बिजली की सप्लाई नहीं कर पाती है। इससे कृषि, लघु उद्योग धंधे व व्यापार सहित तमाम कार्य प्रभावित होते हैं। बिजली कटौती से अस्पताल और स्कूल भी अछूते नहीं हैं। अस्पतालों में ओपीडी के समय बिजली कट जाती है। इससे मरीजों व डॉक्टरों को परेशानी झेलनी पड़ती है। डॉक्टरों को कई बार कैंडल या टार्च की रोशनी में मरीजों का इलाज करना पड़ता है।
बरसात के दिनों में तो बिजली आपूर्ति की हालत और खराब हो जाती है। जरा सा हवा का झोंका चला नहीं कि तारों के महाजाल में स्पार्किंग होने लगती है। कई स्थानों पर तारों के टूट कर गिरने या स्पार्किंग होने से जान-माल का खतरा भी उत्पन्न हो जाता है। बिलाासपुर शहर में शायद ही कोई गली या मुहल्ला हो जहां तारों का मकडज़ाल न लगा हो। पुराने तारों को बदलकर उसके स्थान पर नए तार लगाने के लिए कई बार शिकायत नागरिकों द्वारा की जाती है, लेकिन विभागीय अफसर ध्यान नहीं देते। बिजली तारों पर हुक या कटिया तार फंसाकर बिजली जलाने से भी तार टूट जाते हैं।
बिजली आपूर्ति को सरकार ने जब से निजी हाथों में सौंपा है तब से यह समस्या आम हो गई है। बिजली बिल आने की तो गारंटी है, लेकिन बिजली कब आएगी और कब जाएगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है। बिजली से जलापूर्ति व्यवस्था भी जुड़ी है। अगर सुबह-शाम बिजली कटी तो नागरिकों को पानी की समस्या से भी जूझना पड़ता है। सरकार को चाहिए कि बिजली व्यवस्था को इस तरह दुरुस्त करे कि नागरिकों को सहूलियत हो। बिजली कटौती की पूर्व सूचना अवश्य दें, ताकि लोग अपनी आवश्यकताओं की समय से पहले पूर्ति कर सकें।