ये पैसों की बर्बाद है। आर्थिक जैसा है। सरकार काम करने के बजाए, सिर्फ अपना नाम लिखवाने में लगी हुई है। जनता को यह बात समझ आ गई है यह सरकार दिवालिया हो गई है। जितना कर्जा हमने १५ साल में नहीं लिया, उससे दोगुना इन्होंने अब तक ले लिया है।
बृजमोहन ने बढ़ते अपराध पर भी सरकार पर निशाना साधा। कहा कि छत्तीसगढ़ में कानून का राज समाप्त हो गया है। सरकार अपने स्वार्थों में उलछी हुई है। मंत्रियों का एक दूसरे के हित में लगे हुए हैं। अधिकारियों को ताश के पत्तों की तरह फेंटना और किसी को स्थाई तौर पर काम न करना देना। यह सबसे बड़ी समस्या रही है।
उन्होंने बढ़ते कोरोना संक्रमण पर कहा कि सरकार को तैयारियों के लिए छह महीने का समय मिला था मगर एक भी वेंटीलेटर और आईसीयू के बेड नहीं बढ़ाए हैं। ऑक्सीजन की कमी बनी हुई है। हमने सुझाव दिया था कि औद्योगिक ऑक्सीजन को कंट्रोल कर मरीजों के लिए व्यवस्था करनी चाहिए। पैसे की कोई कमी नहीं है। जब आपको अधिकार दिया है कि डीएमएफ, राज्य आपदा प्रबंधन मद से खर्च करिए, तो इन्होंने नॉमीनल खर्च किया है।