उन्होंने कहा, पहले किसान 10-20 क्विंटल ज्यादा धान लाता था तो सोसायटी खरीद लेती थी। आज कम्प्यूटर में ऐसा सॉफ्टवेयर है, जिसकी वजह से सीमित बारदाने जारी होते हैं, और सीमित धान खरीदा जाता है। पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में किसान सुबह धान बेचता था और शाम को उसके खाते में पैसे आ जाते थे। आज हालत यह है कि जिन किसानों ने 1 दिसंबर को सोसायटी में धान बेचा है, आज तक उनके खाते में पैसे नहीं आए हैं। ऐसी स्थिति में किसान साहूकारों से कर्ज लेने के लिए मजबूर है।
भाजपा नेता बृजमोहन ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के 2016 के उस ट्वीट का जिक्र किया, जब वे विपक्ष में थे। भूपेश बघेल ने ट्वीट में तत्कालीन सरकार से 15 नवंबर की जगह 1 नवंबर से धान खरीदी की मांग की थी। बृजमोहन ने कहा, भूपेश जब विपक्ष में रहते हैं तो 1 नवंबर से धान खरीदी करने की मांग करते हैं और जब सत्ता में आ जाते हैं तो उसे भूल जाते हैं।
उन्होंने बताया कि पहले की सरकार में किसानों से पांच बार धान खरीदा जाता था। अभी भी 5 बार धान खरीदे जाने की घोषणा की गई थी यानि एक बार में 80 क्विंटल धान खरीदा जाएगा। किसान 5 बार में 400 क्विंटल बेच सकता था। लेकिन प्रदेश सरकार ने अब इसे घटाकर तीन बार कर दिया। इससे किसान सिर्फ 240 क्विंटल धान बेच पाएगा।