scriptवाजिब दाम नहीं मिलने से मुख्यमंत्री के जिले में ही चना सत्याग्रह, आक्रोश से चुनावी वर्ष में घबराई भाजपा | BJP resentful of Chana Satyagraha in Chhattisgarh | Patrika News
रायपुर

वाजिब दाम नहीं मिलने से मुख्यमंत्री के जिले में ही चना सत्याग्रह, आक्रोश से चुनावी वर्ष में घबराई भाजपा

इस उपज का बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से 30 फीसदी तक नीचे गिर चुका है

रायपुरApr 16, 2018 / 12:56 pm

Deepak Sahu

CGNews

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रायपुर . भाजपा शासित छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान में चने की अच्छी पैदावार के बाद भी किसानों के हाथ खाली हैं। सरकारें इतना चना खरीदने से कतरा रही हैं। दूसरी ओर इस उपज का बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से 30 फीसदी तक नीचे गिर चुका है। अपना चना व्यापारियों को सस्ते दामों में बेचने पर मजबूर किसान उबल रहा है। इन तीनों ही राज्यों में इसी वर्ष चुनाव होने हैं। अन्नदाता के आक्रोश का यह नया सबब चुनाव में भारी न पड़ जाए, इस पर भाजपा मेंं घबराहट है। छत्तीसगढ़ में चने की फसल का समर्थन मूल्य नहीं मिलने के कारण किसान विरोध जता रहे हैं।

देशभर में 110 लाख टन से अधिक पैदावार
चना बांटने के लिए नैफेड से खरीदी
[typography_font:14pt;” >किसानों की नाराजगी सरकार की नीतियों से भी है। अनुसूचित क्षेत्रों में वितरण के लिए सरकार भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नैफेड) के जरिए 61 हजार 272 मीट्रिक टन चना खरीदने वाली है। नैफेड छत्तीसगढ़ से चना नहीं खरीदता। जिला किसान संघ के नेताओं का कहना है, सरकार यह खरीदी स्थानीय किसानों से करती तो कम से कम 61 हजार मीट्रिक टन का न्यूनतम समर्थन मूल्य तो मिल जाता।

प्रगतिशील किसान संगठन के संयोजक राजकुमार गुप्ता ने बताया दबाव के चलते किसानों ने चने की फसल लगाई थी। प्रति क्विंटल 12०० रुपए का नुकसान हो रहा है। प्रोत्साहन राशि की घोषणा के बाद भी नुकसान होगा, इससे किसानों में सरकार के प्रति विश्वास कम हुआ है।

किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर शुक्ल ने बताया किसान स्वयं को ठगा महसूस कर रहे हैं। सरकार ने चार लाख किसानों के लिए 120 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया है। जबकि 400 स्टील उद्योगों के लिए 240 करोड़ की राहत दे रही है।

भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष पूनम चंद्राकर ने कहा कि सरकार का लक्ष्य किसानों की आय दोगुना करने का है। रबी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदी के लिए खर्चों का आकलन हो रहा है। जुलाई-अगस्त तक लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य तय हो जाएगा।

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