रायपुर

झीरमघाटी कांड: भाजपा का बड़ा दांव, जान गंवाने वाले नेताओं को शहीद का दर्जा देने की मांग

पूर्व मंत्री चंद्राकर ने कहा अभी तक कागजों में नहीं मिल सका शहीद का दर्जा

रायपुरMay 27, 2020 / 01:25 am

Nikesh Kumar Dewangan

file photo

रायपुर. झीरम घाटी में हुए माओवादी हमले के मामले को लेकर प्रदेश में नई सियासत गरमा गई है। सत्ता और विपक्ष एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर अपनी-अपनी बात जनता के बीच रख रहे हैं।
भाजपा ने बड़ा दांव खेलते हुए झीरम घाटी के हमले में जान गंवाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को शहीद का दर्जा देने की मांग उठाई है। कांग्रेस सरकार में भाजपा की यह मांग राजनीतिक मायने के हिसाब से काफी अहम है, क्योंकि हाल ही में राज्य सरकार ने झीरम घाटी श्रद्धांजलि दिवस मनाने का फैसला किया था।
पूर्व मंत्री व विधायक अजय चंद्राकर ने शहीद का दर्जा देने की मांग को उठाया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, सरकार झीरम घाटी दिवस मना रही है। लेकिन कांग्रेस सरकार उनको शहीद का दर्जा अब तक नहीं दिया है। इस मामले में सिर्फ राजनीति हो रही है। शासन को उन्हें विधिवत शहीद का दर्जा दे। उल्लेखनीय है कि 25 मई 2013 को झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के दौरान हुए माओवादी हमले में उसके कई शीर्ष नेताओं की मौत हो गई थी। हमले में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार, दिनेश पटेल, योगेंद्र शर्मा, गोपी माधवानी, अभिषेक गोलछा आदि की जान गई थी।
कांग्रेस ने पूछा- मोदी सरकार किसे बचाने के लिए फाइल वापस नहीं कर रही

झीरम हमले को लेकर भाजपा नेताओं के बयान पर कांग्रेस ने पलटवार किया है। कांग्रेस संचार विभाग के सदस्य सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रमन सिंह के दिल और नीयत में खोट नहीं, तो मोदी सरकार से झीरम घाटी हमले की जांच की फाइल राज्य सरकार को वापस करने को कहे। ताकि झीरम की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी अपना काम कर सके। उन्होंने पूछा कि केन्द्र सरकार क्यों झीरम की जांच नहीं होने दे रही है? जब बिना किसी निष्कर्ष पर पहुंचे एनआईए ने झीरम की जांच बंद कर दिया, ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार इस मामले की फाइल राज्य सरकार को वापस कर देनी चाहिए। आखिर किसको बचाने या कौन सा तथ्य छिपाने झीरम की जांच फिर से शुरू करने में भाजपा की केंद्र सरकार अड़ंगेबाजी लगा रही है।

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