स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने गत वर्ष ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को पीएम की सुविधा शुरू कराने के आदेश दिए थे। गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक विभाग के डॉक्टर आंबेडकर अस्पताल में पोस्टमॉर्टम करते हैं। इन दिनों यहां पर सामान्य के साथ कोविड-19 से मरने वालों का भी पोस्टमॉर्टम किया जा रहा है। कोरोना संक्रमित समेत सामान्य शवों के साथ यहां रोजाना 13-15 पोस्टमॉर्टम किए जा रहे हैं। यहां पीएम करने वाले डॉक्टरों की भारी कमी है। पूरा जिम्मा विभागाध्यक्ष समेत 4 डॉक्टर पर है। इन्ही चारों डॉक्टरों को पीएम करना है, रिपोर्ट तैयार करनी है, न्यायालय के समक्ष खड़े होना है और कॉलेज में एमबीबीएस की क्लास भी लेनी पड़ती है। विशेषज्ञों का कहना है कि 1964 में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हुई थी। तब से यहां पर ही पीएम होता आया है।
रायपुर को छोड़कर अन्य जिलों में जिला अस्पतालों के डॉक्टर पीएम करते हैं। यहां जिला अस्पताल प्रबंधन पर विभाग ने कभी दबाव नहीं डाला, इसलिए आज तक पोस्टमॉर्टम शुरू नहीं हुआ। जिला अस्पताल में पीएम की सुविधा शुरू होती है तो इससे आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों पर से दबाव कम होता। शहर में आंबेडकर, एम्स और जिला अस्पताल में पीएम की सुविधा होने से दूर-दराज से आने वालों लोगों को भी राहत मिलती।
रायपुर जिला अस्पताल पंडरी के सिविल सर्जन डॉ. रवि तिवारी ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश के बाद ही जिला अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए तैयारी शुरू कर दी गई थी। भवन भी तैयार हो गया है। कुछ काम बचा हुआ था जो कोरोना वायरस की वजह से अटका हुआ है। पीएम शुरू नही होने की पीछे डॉक्टर व स्टॉफ की कमी भी एक कारण है।