बचे हुए कार्य को पूर्ण करने के लिए नगर पालिका उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप सिंह ने 2 लाख रूपए देने की हामी भरी थी। लेकिन टेंपल कमेटी के सुस्त रवैये के चलते इस पर अमल नहीं किया जा सका है।
पुजारी के घर पूजा पाठ
विडंबना की बात यह है कि जिस जिमी माटी के देव माने जाने वाले जिस बोदराज बाबा की अनुमति लेकर देवी दंतेश्वरी की डोली बस्तर दशहरा पर्व के लिए रवाना होती है और वापस मंदिर में लौटती है, उसी बोदराज बाबा का आशियाना अधूरा है और मंदिर अधूरा होने की वजह से शंखनी नदी के उस पार माद्री परिवार अपने घर पर देव के प्रतीक व विग्रहों को रखकर पूजा पाठ करता आ रहा है।
विडंबना की बात यह है कि जिस जिमी माटी के देव माने जाने वाले जिस बोदराज बाबा की अनुमति लेकर देवी दंतेश्वरी की डोली बस्तर दशहरा पर्व के लिए रवाना होती है और वापस मंदिर में लौटती है, उसी बोदराज बाबा का आशियाना अधूरा है और मंदिर अधूरा होने की वजह से शंखनी नदी के उस पार माद्री परिवार अपने घर पर देव के प्रतीक व विग्रहों को रखकर पूजा पाठ करता आ रहा है।

खाली पड़े मंदिर में कुछ भिक्षुकों ने डेरा जमा लिया है, जो यहां चूल्हा जलाकर भोजन पकाते और सोते हैं। दरवाजा नहीं होने से बांस की किवाड़ बनाया है। मंदिर का बाहरी हिस्सा झाड़ियों से ढंक गया है।