गार्डन के सामने कराई प्लॉट की बुकिंग, आरडीए ने बना दिया बिजली सब-स्टेशन
इंद्रप्रस्थ-2 प्रोजेक्ट का मामला रेरा पहुंचा

रायपुर. आरडीए के इंद्रप्रस्थ फेस-2 प्रोजेक्ट में ग्राहक ने 29 लाख 94 हजार 256 रुपए में बड़े प्लॉट की बुकिंग इसलिए कराई क्योंकि वह गार्डन फेसिंग था, लेकिन आरडीए ने गार्डन के लिए छोड़ी गई जमीन पर विद्युत सब-स्टेशन का निर्माण करा दिया। एग्रीमेंट में ग्राहक ने वर्ष 2016 से 2019 तक 22 लाख 81 हजार व बैंक ब्याज के रूप में 5 लाख 6 हजार का भुगतान भी कर दिया था। इसके बाद आरडीए ने ग्राहक को दूसरे स्थान पर प्लॉट लेने का दबाव बनाया। यह मामला रेरा पहुंचा और रेरा ने लंबी सुनवाई के बाद 2 महीने के भीतर ग्राहक द्वारा जमा कराई गई पूरी राशि वापस करने का फरमान आरडीए को दिया है।
प्रकरण के मुताबिक महोबाबाजार निवासी सोनल श्रीवास्तव पति आशीष भार्गव ने आरडीए के प्रोजेक्ट इंद्रप्रस्थ फेस-2 में 1876 वर्गफुट जमीन के लिए सौदा किया था। तय सौदे और आवंटन पत्र के मुताबिक 10 फीसदी राशि के बाद शेष राशि का भुगतान 6 किश्तों में 2018 तक करना था एवं बाकी 7 लाख 12 हजार की राशि आरडीए द्वारा सूचित करने पर किया जाना था। मामले में आरडीए ने 21 अगस्त 2019 को आवंटिती को पत्र भेजा कि यदि उसने 15 दिन के भीतर शेष राशि 7 लाख रुपए का भुगतान नहीं किया तो आवंटन रद्द कर दिया जाएगा। आपत्ति के बाद आरडीए ने 9 जून 2020 को फिर पत्र भेजा कि गार्डन के लिए निर्धारित जमीन पर विद्युत सब-स्टेशन का निर्माण किया जा रहा है। इसलिए अन्य भूखंड का चुनाव कर सकते हैं। ग्राहक ने आपत्ति जताई कि ले-आउट में परिवर्तन भी गुपचुप तरीके से किया गया। यह असंवैधानिक है।
आरडीए ने यह दिया जवाब
रेरा में सुनवाई के दौरान आरडीए ने जवाब दिया कि ग्राहक को अन्य स्थान पर भूखंड का प्रस्ताव दिया गया। आरडीए ने नियमानुसार ले-आउट में परिवर्तन कराया है। आरडीए ने दलील दी कि विधानसभा चुनाव और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर होने की वजह से निर्माण कार्य प्रभावित इसलिए विवादित स्थल में कार्य प्रभावित रहा। विलंब के लिए आरडीए आवास एवं पर्यावरण विभाग को पत्र लिखा कि मार्च 2021 तक का समय दिया जाए। आरडीए ने यह भी कहा कि आवंटिती को इस मामले पर सुनवाई के लिए आरडीए के समक्ष आर्बिट्रेशन में मामला दाखिल करना था, ना कि रेरा में।
रेरा ने यह कहा
रेरा ने कहा कि आरडीए ने विवादित प्रोजेक्ट को पूरा करने में विलंब को लेकर दलील दी है, लेकिन यह भी सच है कि ग्राहक ने जिस उद्देश्य के साथ बड़े भूखंड की बुकिंग कराई थी, वह पूरा नहीं हो सका। आरडीए ने गार्डन के स्थान पर विद्युत सब-स्टेशन बना दिया। सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए आवेदक अदा की गई संपूर्ण राशि बिना ब्याज के प्राप्त करने का हकदार है।
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