रायपुर

रायपुर की मिट्टी से जुड़ी हैं कसाब के खिलाफ गवाही देने वाली देविका की जड़ें

26/11 की चश्मदीद देविका पहुंची रायपुर, साझा किया दर्द

रायपुरMay 07, 2018 / 06:21 pm

Tabir Hussain

ताबीर हुसैन@ रायपुर . 26 नवंबर 2008 को छत्रपति शिवाजी रेलवे स्टेशन में दहशतगर्दों ने यात्रियों पर गोलियां बरसाईं। देविका नटवरलाल रोटावन अपने परिवार के साथ पूणे जाने के लिए ट्रेन का इंतजार कर रही थी। उसके दायें पैर पर गोली लगी थी। उनके पैरों के जख्म अब भर गए हैं, लेकिन निशान अभी भी मौजूद हैं। जब ये हमला हुआ, उस समय उनकी उम्र 9 साल 11 महीने थी अब 19 बरस की हो चुकीं देविका को साढ़े नौ साल पहले गुजरी उस रात का हर एक पल आज भी याद है। उसने पूरा वृतांत साझा किया। 26/11 की चश्मदीद गवाह देविका रायपुर में आयोजित मेरी शान तिरंगा है कार्यक्रम में शामिल हुईं। इससे पहले एक होटल में बातचीत के दौरान बताया कि गवाही के बाद से उनकी फैमिली की जिंदगी अव्यवस्थित हो गई है। हमेें किराए का मकान खोजने में परेशानी होती है। अभी-अभी हमको मकान खाली कराया गया। लोग हमसे डरते हैं, कहते हैं आपकी वजह से हमारी जान खतरे में पड़ जाएगी। कभी-कभी मन में यह ख्याल आता है कि मैंने एक आतंकवादी के खिलाफ गवाही देकर क्या गुनाह कर दिया कि जमाना हमारा दुश्मन बन बैठा। फिर सोचती हूं मैंने जो भी किया देश के लिए और आगे भी करती रहूंगी।

अफसर बनकर करना है आतंक का सफाया
इस घटना ने देविका के जीवन में जबर्दस्त प्रभाव डाला है। इस वजह से वह टीबी से ग्रसित हो गई थी। वे कहती हैं कि आइपीएस बनकर आतंक को सफाया करेंगी। सरकार की ओर से सेफ्टी के सवाल पर कहा कि पुख्ता सुरक्षा तो नहीं मिली लेकिन पुलिस के आला अफसरों का दावा है कि वे परिवार की सेफ्टी पर गंभीर हैं। किसी कार्यक्रम के लिए आमंत्रण भी आता है तो निमंत्रण पत्र समेत आयोजकों पर नजर रहती है।

दबाव और ऑफर दोनों आए
देविका के पिता नटवरलाल ने बताया कि जब गवाही के लिए जाना था उस दौर में दबाव और ऑफर दोनों मिले, लेकिन हम देशहित को सर्वोपरि मानते हुए न डरे और न झुके। आज भी दुनिया हमसे बचती है, डरती है लेकिन हमारा लक्ष्य अब आतंक के खिलाफ मिशन से है।

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