बोरिकर ने कहा जब देश विभाजन हुआ था तब पाकिस्तान से जो ट्रेने भारत आती थी उसमे केवल लाशे आती थी। और भारत से कभी भी ट्रेनों में लाश नहीं गयी । इस हकीकत को हम क्यों नहीं समझ रहे है। मुस्लिम शब्द को हमने नहीं हटाया है। क्योकि हमने उन देश की माइनॉरिटी को देखकर छोड़ा है। क्या पाकिस्तान से हिन्दू अगर भागकर बंगलादेश जाता है तो क्या बंगलादेश उसे शरण देगी या बंगलादेश से कोई हिन्दू पाकिस्तान जाता है तो क्या पाकिस्तान उसे शरण देगी ,नहीं देगी । ऐसी घटना 1971 विभाजन के समय में हुई। जिसमे कई शरणार्थी भारत में शरण लिए थे। इन पर गाँधी और नेहरू ने भी कहा था इन्हे शरण देना चाहिए और इन्हे नौकरी भी।
जिसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय प्रमुख श्रीहरी बोरिकर ने बताया की जिस प्रकर से विपक्ष सीएए को लेकर भ्रम फैला रही है वो बहुत ही निंदनीय है जिस प्रकार से देश में विपक्षी पार्टी भ्रम फैला कर दंगे कराने की कोशिश की जा रही है व एनआरसी का डऱ दिखाकर लोगों को डरा रही है। जिस प्रकार से देश में अवैध रूप घुसपैठिए देश में अपना पैर पसार रहे है व देश मे अपराध फैला रहे है इसलिए देश में एनआरसी की ज़रूरत है।सीएए,एनआरसी, एनपीआर देश के हित में है उन्होंने आगे बताया की जेएनयू में समझना पड़ेगा जेएनयू के मुद्दे पर उन्होंने कहा की जब 82 प्रतिशत छत्रों ने फार्म भरा और उन्होंने साबित किया की वो जेएनयू में पढऩा चाहते है और देशविरोधी लोगों के ख़िलाफ़ है। वामपंथियो का असल मक़सद अपनी विचारधारा थोपना है। बोरिकर ने कहा की देश के मुस्लमान सुरक्षति है।
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