उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़ा दुर्भाग्य है कि जब हम पूछते हैं कि विरोध किस बात का है? तो कोई बताने वाला नहीं है कि इससे देश को ये नुकसान होगा। समाज इससे इस तरह प्रभावित होगा। जो प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे हैं, उन्हें इसकी जानकारी भी नहीं है। ये विरोध टिकेगा नहीं। यह विरोध सिर्फ दिखाने का है।
उन्होंने कहा कि सीएए जैसे कानून के संशोधन की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि देश के भीतर ऐसी कई एजेंसियां है, जो भारत को अस्थिर करना चाहती हैं। ये एजेंसियां ही फंडिंग करती है। मोदी सरकार ने ऐसे ही एजेंसियों पर नकेल कसी है, इसलिए ही ये लोग विरोध कर रहे है। जो सोया हुआ है, उसे जगाया जा सकता है, लेकिन यदि कोई सोने का विरोध कर रहा है तो उसे कैसे जगा सकते हैं? सीएए को लेकर चल रहा विरोध कुछ ऐसा ही है।
त्रिवेंद्र सिंह ने कहा कि भारत तेरे टुकड़े होंगे जैसे नारे लगाने वाले लोग ही ऐसे मूवमेंट को चला रहे है। लेकिन हम इसको सफल होने नहीं देंगे। उत्तराखंड में ही ऐसी स्थिति बनी थी। हमने दो टूक कह दिया था कि शांति से प्रदर्शन करना है तो करिए लेकिन ला एंड आर्डर प्रभावित हुआ तो सख्ती से कदम उठाया जाएगा। रात तक प्रदर्शन खत्म हो गया।
इंटर स्टेट काउंसिल की बैठक के बारे में उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि बैठक में अलग-अलग राज्यों के एजेंडे होते हैं। उत्तराखंड में विशेष रुप से ग्रामीण सड़क का मसला है। कुछ विषय खाद्यान्न समस्या को लेकर है। कुछ अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़े मुद्दे है। उन्होंने कहा कि राज्यों में भारत सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं पर एक्शन टेकन रिपोर्ट भी पेश किया जाता है। नए मुद्दे भी उठाये जाएंगे।
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