बताया जाता है कि घटना के बाद आरोपी जवान काफी तनाव में था। लेकिन, किसी भी तरह की अनहोनी घटना के पहले सीएफ निरीक्षक ने किसी तरह सरेंडर कराया। एसपी मोहित गर्ग ने बताया कि नारायणपुर से 45 किलोमीटर दूर छोटेडोंगर थाना क्षेत्र के आमदई घाटी में लौह अयस्क के उत्खनन व सड़क निर्माण को सुरक्षा प्रदान करने पुलिस का अस्थाई पुलिस बेस कैम्प खोल गया है। यहां जिला पुलिस बल, सीएएफ एंव आईटीबीपी के जवान तैनात है। शुक्रवार की रात को भोजन के बाद अधिकांश जवान अपने बैरक में सोने के लिए चले गए थे। अचानक गोलियों की आवाज सुनाई दी। आनन-फानन में लोग बैरक की ओर दौड़े तो एपीसी कुमेटी अपनी ए के 47 लिए हुए दिखा और तीन जवान जमीन पर खून से लथपथ पड़े हुए थे।
घटना के बाद गंभीर रूप से घायल लच्छाराम प्रेमी को संजीवनी 108 वाहन की मदद से रात्रि 12.30 बजे जिला अस्पताल नारायणपुर लाया गया था। वहां प्राथमिक उपचार के बाद देर रात करीब 2 बजे एम्बुलेन्स की मदद बेहतर उपचार के लिए उन्हें रायपुर रेफर कर दिया गया। घटना की जानकारी मिलने के बाद एस पी व डीआईजी कांकेर घटना स्थल पहुंचे कर मुआयना किया। बता दें कि बस्तर में धुर माओवाद प्रभावित इलाकों में स्थित थानों में आपसी विवाद के चलते गोली बारी की कई घटनाएं हो चुकी हैं। अब तक नारायणपुर में लगभग तीन घटनाएं घटित हो चुकी हैं। बता दें कि मृतक बलौदाबाजार और आरोपी घनश्याम कुमेटी (59) अंबागढ़ चौकी राजनांदगांव निवासी है। घटना के बाद पुलिस ने आरोपी जवान को गिरफ्तार कर छोटे डोंगर थाने में हत्या का जुर्म दर्ज किया है।
पहले भी हो चुकी है घटनाएं
नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले के छोटेडोंगर क्षेत्र में इसके पहले भी 4 दिसंबर 2019 को अबूझमाड़ के कडेनार गांव में स्थित आईटीबीपी कैम्प में जमकर गोलियां चली थी। इस दौरान आईटीबीपी 45वी वाहिनी बी कम्पनी के एक जवान ने अपने 5 साथियों को गोली मारी थी। वहीं क्रास फायरिंग में वह भी मारा गया था। साथ ही दो जवान भी घायल हुए थे। इसी तरह मार्च 2012 को सीआरपीएफ के जवानों के मध्य हुई गोलीबारी में एक जवान की मौत और दो जवान घायल हो गए थे।
तनाव प्रबंधन पर हो काम
सीएएफ का काम देख चुके एडीजी योजना एवं प्रबंध आरके विज ने जवानों में बढ़ रहे तनाव पर चिंता जताई है। नारायणपुर में हुए घटनाक्रम का ट्यूटर पर उल्लेख करते हुए कहा है कि तनाव प्रबंधन की दिशा में काम करना चहिए ताकि इस तरह की घटनओं को रोका जा सके।