उद्यानिकी विभाग की कृषि भ्रमण यात्रा योजना को घुमक्कड़ी नेताओं ने एक बड़ा घपला बना दिया है। सरकार की यह योजना किसानों को फसल उत्पादन की उन्नत तकनीक से अवगत कराने अन्य राज्यों में ले जाना था, लेकिन नेताओं ने इसे अपनी और अपनों के लिए सैर-सपाटे का माध्यम बना लिया।
दुर्ग जिले में यह घपला सामने आने के बाद जांच भले ही आगे नहीं बढ़ पा रही हो, लेकिन घपले की उधड़ती परतें राजनीति से पनपते भ्रष्टाचार को जरूर उजागर कर रही हैं।
कृषि भ्रमण के नाम पर गड़बड़ी का पहला दाग जिला पंचायत अध्यक्ष माया बेलचंदन के दामन पर लगा। अध्यक्ष और उनके कई रिश्तेदारों पर योजना का फायदा उठाकर यात्रा करने का आरोप है। सूचना के अधिकार में खुलासा हुआ कि भ्रमण के भ्रष्टाचार में जमकर भाई-भतीजे उपकृत हुए। वर्ष 2015-16 और 2016-17 में उद्यानिकी विभाग ने 91 किसानों को कृषि भ्रमण योजना में बनारस और पुणे की यात्रा कराई। किसानों की इस योजना में राजनीतिकों और उनके परिजन के नाम होने से मामला गरमा गया। इसके बाद जब सूची के सभी नामों पर गहराई से नजर डाली गई तो मालूम चला कि सरकारी कर्मचारी, बैंक अधिकारी भी इस योजना का फायदा उठाने वालों में हैं, जबकि इनमें से किसी के भी पास न तो खेती के लिए जमीन है और न ही भूमिहीन किसान की श्रेणी में हैं।
अनियमितता के आरोप के बाद कई लोग खुद सामने आए और उन्होंने उद्यानिकी विभाग को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। इनकी मानें तो इन्होंने कभी यात्रा नहीं की, उन्हें नहीं मालूम कि उनका नाम कैसे जोड़ा गया? सचाई जो भी हो, लेकिन अभी तो इस घपले को लेकर अफरातफरी मची हुई है। सभी अपना दामन बचाने में लगे हैं। वैसे यह हैरान करने वाला है, लेकिन अमूमन होता यही है कि घपला-घोटाला सामने आने के बाद विभाग की पहली कोशिश उसे दबाने की होती है। इस मामले में ऐसा संभव नहीं हुआ तो मामले को जांच के नाम पर अटकाकर रख दिया गया है।