छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय अंजोरा दुर्ग के प्राध्यापकों ने बताया कि यह लोगों के जीवन पर चौतरफा असर डालने वाले होगा। अपने स्तर पर गोबर पर शोध करने वाले गांधीवादी विचारधारा के किसान विजय साहू का अनुमान है कि योजना का बेहतर क्रियान्वयन हुआ तो इसका कारोबार सालाना 80 अरब रुपए से अधिक का होगा। गोबर गोठानों में रखा जाएगा औैर वर्मी कंपोस्ट बनाकर बेचा जाएगा। प्रदेश में 3509 गोठान बन चुके हैं। इनमें से 1659 गोठानों में कृषि, वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम महिला समूहों के माध्यम से चल रहा है। प्रदेश की 5409 ग्रामपंचायतों में गोठान बनने हैं।
इस तरह समझें गोबर का गणित-
सालाना 2 करोड़ 3 लाख 65 हजार टन गोबर मिलेगा
पशुपालन विभाग की 2019 की गणना के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 1 करोड़ 11 लाख 59 हजार पशुधन हंै। इनमें 99.84 लाख गाय और 11.75 लाख भैंस हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक अच्छी सेहत वाले पशु दिनभर में 10 से 15 किलो तक गोबर देते हैं। सामान्यतौर पर एक पशु से औसतन एक दिन में पांच किलो गोबर भी मिलेगा तो पूरे प्रदेश में हर रोज 5 करोड़ 57 लाख 95 हजार किलोग्राम गोबर प्राप्त होगा। यह सालाना 2 करोड़ 3 लाख 65 हजार 175 टन होगा।
गोबर का सालाना 30 अरब 54 करोड़ 77 लाख मिलेगा
सरकार ने गोबर खरीदी की दर अभी तय नहीं की लेकिन उपसमिति ने डेढ़ रुपए का सुझाव दिया है। अगर इसी दर से गोबर की खरीदी होती है तो हर साल लगभग 30 अरब 54 करोड़ 77 लाख 72 हजार 500 रुपए का भुगतान पशुपालकों को होगा। विशेषज्ञों के अनुसार दो किलो गोबर से एक किलो वर्मी कंपोस्ट तैयार होता है। इस तरह 2 करोड़ 3 लाख 65 हजार 175 टन गोबर से सालाना 1 करोड़ 1 लाख 82 हजार 587 टन वर्मी कंपोस्ट का निर्माण होगा।
सालाना 50 अरब 91 करोड़ 29 लाख का वर्मी कंपोस्ट
बाजार में वर्मी कंपोस्ट की कीमत 10 रुपए से लेकर 15 रुपए तक है। कामधेनु विश्वविद्यालय में किसानों को 10 रुपए प्रति किलो की दर से वर्मी कंपोस्ट उपलब्ध कराया जाता है। सरकार की ओर से अभी इसकी दर तय नहीं हुई है। माना जा रहा है कि यह पांच रुपए किलो के आसपास होगी। अगर पांच रुपए किलो की दर उत्पादकों को मिलती है तो सालाना इसका कारोबार 50 अरब 91 करोड़ 29 लाख 35 हजार 500 रुपए होता है।
अभी रासायनिक खाद का कारोबार 12 अरब 73 करोड़ का
कृषि विभाग के मुताबिक प्रदेश में खरीफ एवं रबी फसलों के लिए रसायनिक खाद यूरिया, सुपरफॉस्फेट, डीएपी एवं पोटाश की लगभग 10 लाख 10 हजार 366 टन खपत हो रहा है। इसका बाजार 12 अरब 73 करोड़ 16 लाख 8 हजार रुपए है। वर्मी कंपोस्ट के उपयोग से यह राशि बचेगी।
प्रदेश में 37 लाख 46 हजार किसान
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में लघु, सीमांत एवं दीर्घ मिलकर लगभग 37 लाख 46 हजार किसान हैं। कृषि भूमि का रकबा 50 लाख 84 हजार 49 हेक्टेयर है। जैविक खेती करने वाले किसानों के अनुसार धान की खेती के लिए प्रति एकड़ 100 किलो वर्मी कंपोस्ट की जरूरत पड़ती है। सब्जी आदि के उत्पादन में इससे कुछ ज्यादा मात्रा की जरूरत होती है।
गोबर में फास्फोरस, नाइट्रोजन, पोटाश, मैग्नीज, लोहा आदि खनिज अंश हैं। जैविक खेती की ओर रुझान बढ़ रहा है। सरकार गोबर खरीदती है तो इसका बहुत असर होगा। यह बड़ा कारोबार हो जाएगा। वृहद रूप में भंडारण की बजाय बेहतर होगा पशुपालक व किसनों की पहुंच में ही भंडारण किया जाए। वहीं वर्मी कंपोस्ट बनाकर और मूल्य सूची चस्पा कर खरीदी बिक्री केंद्र खोला जाए।
– डॉ.आर.पी. तिवारी, निदेशक, पंचगव्य संस्थान, छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय
सरकार के इस कदम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी। उर्वरक का उपयोग कम करने से कृषि लागत घटेगी। जैविक खाद के उपयोग से धरती की उर्वरा शक्ति अच्छी हो जाएगी। जनमानस को रासायनविहिन खाद पदार्थों की प्राप्ति होगी। सनातनी व्यवस्था में पूजा कार्य में गौरी एवं गणेश का (प्राकृत) निर्माण गोबर से होता है। इसे पवित्र माना गया है।
– विजय साहू, जैविक खेती कृषक