पुलिस ने प्रताप बैनर्जी को गिरफ्तार कर लिया और उससे पूछताछ की गई। उसने खुलासा किया कि वह कारोबारी कैलाश आसीजा और प्रकाश पृथवानी के साथ मिलकर नकली सामान बना रहा है। इसके बाद पुलिस ने कैलाश को पकड़ा। कैलाश से पूछताछ के बाद पुलिस ने प्रकाश को भी गिरफ्तार किया। इसके बाद पुलिस ने आरोपियों से कड़ाई से पूछताछ की। तीनों ने नकली सामान रखना स्वीकार किया।
पुलिस कैलाश और प्रकाश से कई घंटों की पूछताछ की। इसके बाद आरोपियों ने ब्रांडेड कंपनी के नाम से नकली चायपत्ती, नकली शैंपू और नकली वाशिंग पाउडर बनाना स्वीकार किया। इसके बाद पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर उनके गुढिय़ारी स्थित गोदाम पर दबिश दी। आरोपियों ने गुढिय़ारी में केंद्रीय सहकारी बैंक के पास महेश शर्मा के मकान के एक हिस्से को गोदाम के रूप में ले रखा था। और वहीं नकली सामान रखते थे। पुलिस ने छापा मारकर मौके से ब्रांडेड नाम वाली शैंपू की ६४ पेटी बरामद किया। एक पेटी में ९६० पाउच थे। इसी तरह डिटर्जेंट पाउडर की ५ बोरी जब्त किया है। एक बोरी में १२० पीस पाउडर थे।
मार्केट में नकली सामान असली से इतना मिलता-जुलता है कि आम आदमी उसकी पहचान नहीं कर सकता है। यही वजह है कि कई तरह के नकली सामान बिक रहे हैं, लेकिन आम आदमी पहचान नहीं पा रहा है। आरोपियों के पास मिले चायपत्ती, शैंपू और डिर्टजेंट पाउडर कंपनी के असली चायपत्ती, शैंपू और डिटर्जेंट पाउडर से हुबहू मिलता-जुलता है। आसानी से उसके नकली होने का पहचान करना मुश्किल है। केवल पैकेट, पाउच और पॉलीथिन की प्रिंटिंग और कलर की क्वालिटी में अंतर रहता है। इसके अलावा भीतर के माल की क्वालिटी में भी अंतर हो सकता है।
ब्रांडेड कंपनियों के नाम से नकली सामान बेचने का गोरखधंधा बड़े पैमाने पर चल रहा है। शहर के आउटर और ग्रामीण एरिया में नकली सामान ज्यादा खपाया जा रहा है। खाने-पीने की चीज के अलावा डेली उपयोग की कई चीजें नकली बेची जा रही है, जबकि उनकी कीमत ब्रांडेड जितनी ही रहती है। ग्रामीण इलाके किराने की दुकानों में इसे खपाया जा रहा है। आईपी क्राइम प्राइवेट लिमिटेड के ऑपरेशन मैनेजर अनिल मलहोत्रा के मुताबिक आरोपियों को ब्रांडेड कंपनियों के डिब्बों और पाउच में नकली पैकेजिंग करते हुए पकड़ा गया है। शैंपू और वाशिंग पाउडर भी बरामद हुआ है। इस तरह के नकली माल ग्रामीण इलाके में ज्यादा खपाया जा रहा है।
नकली सामान बनाने और पैकेजिंग करने वालों को बड़ा गिरोह रायपुर में सक्रिय है। इसका खुलासा पुलिस कर सकती है, लेकिन पकड़े गए तीनों आरोपियों से कड़ाई से पूछताछ नहीं की गई।बता दें कि आरोपी चायपत्ती का डिब्बा, शैंपू का पाउच और पॉलीथिन पर अलग से प्रिंट करवाते होंगे, लेकिन कहां करवाते हैं और कौन-कौन लोग इस गिरोह से जुड़े हैं? इसकी जांच पुलिस ने नहीं की है।
आईपी क्राइम प्राइवेट लिमिटेड के ऑपरेशन मैनेजर अनिल मलहोत्रा के मुताबिक नकली चीजों को शहर के बजाय ग्रामीण और शहर से लगे आउटर के छोटे-छोटे दुकानों में खपाया जाता है। शहर की बड़ी दुकानों और मॉल से खरीदने पर कंपनी का ही माल मिलेगा। इसके अलावा नकली सामान की पैकेजिंग, पिं्रटिंग और कलर की क्वॉलिटी असली सामान के रैपर, पाउच या डिब्बे की पैकेजिंग, कलर और प्रिंटिंग से कमतर होगी। इससे भी पहचान कर सकते हैं।
-विनोद कश्यप, विवेचना अधिकारी, सिविल लाइन थाना, रायपुर