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बस्तर में घटी थी प. बंगाल जैसी घटना, CBI के अधिकारी पुलिस से मांग रहे थे जान की भीख

locationरायपुरPublished: Feb 06, 2019 12:49:43 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

बंगाल में घटी घटना से आठ साल पहले बस्तर में घटी इस घटना के सीबीआई को बाकायदे सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर अपनी रक्षा की गुहार लगानी पड़ी थी।

आवेश तिवारी/रायपुर. सरकारी गेस्ट हाउस को चारों ओर से घेरे विशेष पुलिस के जवान लगातार गोलीबारी कर रहे थे। बंद कमरे में मौजूद सीबीआई के अधिकारियों में से कुछ ने अलमारी में तो कुछ ने सोफे के पीछे खुद को छिपा रखा था। वो लगातार ‘हमने कुछ नहीं किया, कुछ नहीं किया’ कहकर चिल्ला रहे थे। पुलिस के गुस्साए जवान लगातार दरवाजों को पीट रहे थे। मोबाइल का नेटवर्क पूरी तरह से फेल था।
यह खबर जैसे तैसे दिल्ली पहुंची तो गृह मंत्रालय में हड़कंप मच गया। तत्काल सीआरपीएफ के हेडक्वार्टर के माध्यम से बस्तर के ताड़मेटला में मौजूद सीआरपीएफ की टुकड़ी को गेस्टहाउस पहुंचने को कहा गया, सीआरपीएफ ने पहुंचकर जैसे तैसे पुलिस के जवानों को खदेड़ा और रात को 10 बजे घोर अंधेरे में सीबीआई के अधिकारियों को सुरक्षा घेरे में वापस लेकर सीआरपीएफ कैम्प में आए।
चौंकिए मत यह किसी फिल्म की स्टोरी नहीं है न ही कोई किस्सागोई। यह वो हकीकत है जिसकी वजह से आज भी सीबीआइ के अधिकारी सुरक्षा के साये में ही बस्तर जाते हैं। बंगाल में रविवार को घटी घटना से आठ साल पहले बस्तर में घटी इस घटना के सीबीआई को बाकायदे सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर अपनी रक्षा की गुहार लगानी पड़ी थी।

ताड़मेटला कांड की जांच करने पहुंची थी सीबीआई
राज्य के माओवाद प्रभावित बस्तर क्षेत्र के ताड़मेटला में मार्च 2011 में आदिवासियों के 300 घरों को जलाए जाने और तीन आदिवासियों की ह्त्या के मामले की जांच का काम सीबीआई को सौंपा गया था। इस मामले में विशेष पुलिस बल पर आरोप लगे थे कि यह काम उन्होंने अंजाम दिया है। इस मामले की जांच के लिए सीबीआई के भोपाल जोन के आधा दर्जन अधिकारी तालमेटला पहुंचे हुये थे।

गौरतलब है कि आदिवासियों का हाल जानने पहुंचे स्वामी अग्निवेश पर भी उस दौरान एसपीओ द्वारा हमला किया गया था। उस दिन का जिक्र करते हुए सीबीआई के एक अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि जिस दिन हम जांच के लिए पहुंचे उस दिन पता चला कि सुकमा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डीएस मरावी पर माओवादियों ने घात लगाकर हमला कर दिया गया है । इस हमले में एक एसपीओ करलम सूर्या के मारे जाने की भी खबर थी, जिसके कारण माहौल बेहद गरम था।

सीबीआई पर लगा रहे थे हत्या के आरोप
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में जिसकी प्रति पत्रिका के पास मौजूद है सीबीआइ ने कहा था कि जब हम मौके पर जांच के लिए पहुंचे तो वहां मौजूद एसपीओ हमें देखते ही भड़क गए। हलफनामे में सीबीआई ने कहा कि एसपीओ, सीबीआई के लोगों पर ही करलम सूर्या की हत्या कराने का आरोप लगा रहे थे।

सीबीआई अधिकारियों ने हलफनामे में कहा कि विशेष पुलिस अधिकारियों ने हमारे दरवाजों को बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया था। हलफनामे में कहा गया है कि यह सभी विशेष पुलिस अधिकारी हथियार बंद थे और उनके पास हथगोले भी थे उन लोगों ने फायरिंग शुरू कर दी ,उन लोगों ने एसपी सुकमा और एसडीओपी भानुप्रतापपुर के साथ भी दुर्व्यवहार किया दिलचस्प यह था कि उस वक्त वर्तमान इओडब्ल्यू आइजी कल्लूरी एसपी सुकमा थे।

सीबीआई के चार्जशीट के बाद पुलिस का विद्रोह
इस गंभीर मामले में सीबीआई ने आठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ चालान पेश किया था। छत्तीसगढ़ के डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) ने ताड़मेटला प्रकरण से जुड़े दंतेवाड़ा और सुकमा जिलों के उन आठ तत्कालीन स्पेशल पुलिस आफिसर्स (एस.पी.ओ.) के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए जिनके खिलाफ सीबीआई ने चालान पेश किया। लेकिन इन पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई होते ही समूचे बस्तर में पुलिस के जवाब सड़कों पर उतर आए कांग्रेस का आरोप था कि यह काम कल्लूरी करा रहे हैं और इसे पुलिस के विद्रोह से कम करके नहीं देखना चाहिए।

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