रायपुर। छत्तीसगढ़ में हुआ अश्लील सीडीकांड जितनी दुखद और शर्मनाक है, उतनी ही दुखद और शर्मनाक उसकी हो रही जांच है। जांच कभी बहुत जल्द सुलझती दिखती है तो दूसरे ही पल ऐसा लगता है कि जांचकर्ता उलझने लगे हैं। सच हाथ में आते-आते छूट जा रहा है। सीडीकांड में एक आरोपी की आत्महत्या या हत्या और उस पर कुछ राजनीति, कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ की जनता भ्रमित की जा रही है। शुरुआती जांच में और मिडिया रिपोर्ट में ऐसा लगता है कि इसके पीछे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सहयोगीजन शामिल रहे हैं। सीडी के नाम पर अनेक नेताओं का भयादोहन किया गया है, ऐसे संकेत भी सामने आ रहे हैं। चरित्र हत्या बेहद गंभीर मामला है। चरित्र पर लगा दाग आसानी से नहीं मिटता। सीबीआइ को किसी भी राजनीतिक दबाव से परे सीडीकांड के सच को सामने लाना चाहिए। सीडीकांड की जांच राजनीतिक पैंतरेबाजी और बयानबाजी से कतई उलझनी नहीं चाहिए। ऐसी किसी भी साजिश का प्रदेशवासियों को भी पुरजोर विरोध करना चाहिए। वैसे तो सीबीआइ सीडीकांड के तह तक पहुंचने के लिए चारों तरफ हाथ-पैर मारती नजर आती है। आइटी एक्सपर्ट और हैंकरों से संपर्क कर रही है। साइंटिफिक तरीके से जांच करने उनसे मदद तक ले रही है। संदेहियों से जब्त किए गए मोबाइल और लैपटाप उनके पास भेजे भी गए हैं। इतना ही नहीं, अश्लील सीडी बनाने, उसे कॉपी कर वितरित करने और इसकी आड़ में ब्लेकमेल करने वालों का पर्दाफाश करने के लिए सीबीआइ की टीम मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद और बेंगलूरु तक की खाक छान रही है। बहरहाल, सीडीकांड की जांच और उसके नतीजे जितने आसान लग रहे थे अब उतने ही कठिन और जटिल लगने लगे हैं। वर्तमान परिस्थिति चिंता में डाल दी है। राज्य में झीरम कांड सहित आधा दर्जन ऐसे कांड हैं जिनका सच जांच के धागों में ही ओझल है। कहीं ऐसा ना हो कि सीडीकांड का सच भी जांच के जटिल धागों की भेंट चढ़ जाए। छत्तीसगढ़ की जनता तो यही चाहती है कि राज्य में हुए अश्लील सीडीकांड का जल्द से जल्द दूध का दूध और पानी का पानी हो।