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केंद्र सरकार की डिजिटल इंडिया मुहिम में मेंटेनेंस बना रोड़ा, दो साल से एक भी ट्रेनिंग नहीं

locationरायपुरPublished: Nov 16, 2021 08:14:36 pm

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CG Desk

– ट्रेनिंग देने के बजाए स्कूलों में शिक्षक का काम कर रहे मास्टर ट्रेनर- मेंटेनेंस के अभाव में सिस्टम हुए खराब

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पत्रिका पड़ताल

रायपुर। डिजिटल इंडिया मुहिम से स्कूल स्तर में ही छात्र रुबरु हो सके, इसलिए केंद्र सरकार ने आईसीटी डीजी इंडिया प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। इस प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश के स्कूलों में लैब बनाना था। शिक्षकों और छात्रों को इंफार्मेशन एंड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी की शिक्षा दी जानी थी।

केंद्र सरकार से फंड आने के बाद प्रदेश के 4765 स्कूलों में लैब खुल गए और मास्टर ट्रेनर भी नियुक्त हो गए। बीते दो साल से ये लैब पूरी तरह से बंद है। स्कूल खुल जाने के बाद भी इन लैबों में ट्रेनिंग शुरू नहीं हुई है। शिक्षकों-छात्रों की ट्रेनिंग क्यों बंद है। इस बात पर लैब प्रभारियों का कहना है कि सॉफ्टवेयर एक्सपायर होने की वजह से कंप्यूटर बंद हो गए। प्रोजेक्ट प्रभारियों को सूचना दी जा चुकी है। उसके बाद भी फंड जारी नहीं किया जा रहा है। फंड ना आने की वजह से लैब के कंप्यूटर धूल खा रहे है और मास्टर ट्रेनर स्कूलों में शिक्षक बने बैठे हैं।

करोड़ों फूंके फिर भी स्थिति पहले की तरह
एक्सपर्ट के अनुसार डिजिटल इंडिया मुहिम के तहत शासकीय स्कूल में लैब निर्माण करने के अलावा पांच स्मार्ट क्लास रूम बनाने थे। इसके लिए शिक्षकों को पांच कंप्यूटर भी अलॉट किए गए थे। प्रदेश भर में 4 हजार 765 लैब निर्माण कराने में करोड़ों रुपए फूंके गए और मास्टर ट्रेनरों को सैलरी देने में हर माह लाखों रुपए बर्बाद किया जा रहा है। इन सबके बाद भी डिजिटल इंडिया मुहिम का प्रदेश में विस्तार नहीं हो पा रहा है।

हर जिले में स्थिति एक सी
मास्टर ट्रेनर्स ने बताया, कि हर जिले में लैब का हाल एक सा है। कई बार जिम्मेदारी कंपनी और स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखा है। पत्र लिखे जाने के बाद भी किसी तरह से निर्देश जारी नहीं हुआ और ना ही फंड आया है। फंड नहीं आने के अभाव में मास्टर ट्रेनर स्कूलों में शिक्षकों को पढ़ाने और बाबूगिरी करने के लिए मजबूर हैं।

एडिक कंपनी ने संभाला है काम
केंद्र सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट का छत्तीसगढ़ में अच्छे तरह से संचालन हो सके, इसलिए प्रायवेट फर्म एडिक को यह काम दिया गया है। प्राइवेट फर्म के हाथ में फंड होने के बावजूद इस प्रोजेक्ट की दुर्गति प्रदेश में हो रही है। प्रदेश भर के मास्टर ट्रेनर कंपनी के को-आर्डिनेटरों से जवाब-तलब कर रहे हैं, लेकिन इन सभी मुद्दों पर किसी तरह से स्पष्ट जानकारी मास्टर टे्रनरों को नहीं मिल पा रही है। मास्टर ट्रेनरों की शिकायतों का जवाब जानने के लिए पत्रिका टीम ने एडिक कंपनी के प्रबंधन से चर्चा करनी चाही, लेकिन उन्होंने रिप्लाई नहीं दिया।

इस प्रोजेक्ट को लीड हमारे सीनियर कर रहे है। मैं आईटी सेक्शन का काम देखता हूं। मेंटेनेंस क्यों नहीं हो रहा? मास्टर टे्रनरों की शिकायत का दूर वो ही कर सकते हैं। आप उनसे चर्चा कर लीजिए।
– मुकेश कुमार साहू, को-ऑर्डिनेटर, एडिक कंपनी

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