इस पहल के पीछे सरकार की मंशा है कि युवाओं को सभी तरह के कर्म कांड सिखाकर रोजगार की संभावनाएं बढ़ाई जा सकें। इससे बड़ा फायदा यह भी होगा कि गणेशोत्सव, दुर्गोत्सव जैसे बड़े पर्वों के दौरान लोगों को आसानी से पंडित मिल सकेंगे। अभी कई बार यह देखने में आता है कि बड़े पर्वों के दौरान ज्यादातर पंडित व्यस्त हो जाते हैं। ऐसे में कई बार लोगों को घर-दुकान में कोई पूजा या अनुष्ठान करवाने की जरूरत पड़े तो पुरोहित नहीं मिलते।
ऑनलाइन पूजा पर अधिक जोर, इससे बढ़ेगा विदेशी मुद्रा भंडार
इस योजना के तहत सरकार का सबसे अधिक जोर ऑनलाइन पूजा पर है। दरअसल, बहुत से भारतीय विदेशों में पूजा-पाठ कराना चाहते हैं, लेकिन उन्हें कुशल पंडित नहीं मिलते। ऐसे में यह पंडित न केवल वहां पर ऑनलाइन के माध्यम से पूजा करा देंगे, बल्कि दक्षिणा के माध्यम से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ाएंगे। मंत्रालय का मानना है कि युवाओं में धर्मपरायणता बढ़ी है।
संस्कृत के श्लोकों का हिंदी-अंग्रेजी में अनुवाद ताकि सीखना आसान हो
कौशन विकास मंत्रालय ने कर्मकांड सिखाने के लिए जो योजना तैयार की है, उसके तहत संस्कृत के विभिन्न श्लोक व मंत्रों का हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद किया जा रहा है। इसका बड़ा कारण यही है कि ज्यादातर युवाओं को संस्कृत नहीं आती। अंग्रेजी और हिंदी में अनुवादित श्लोक-मंत्रों को पढ़कर प्रशिक्षण प्राप्त करना आसान होगा। वहीं प्रशिक्षण अवधि अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग होगी।
केंद्र सरकार की इस योजना की सबसे खास बात यह है कि इसमें सभी जाति-वर्ग के युवा हिस्सा ले सकेंगे। यानी जरूरी नहीं है कि केवल ब्राह्मण ही कर्म-कांड कराएंगे। जानकारी के मुताबिक, विश्व हिंदू परिषद ने जो सूची तैयार की है उसमें सामान्य वर्ग के अलावा बड़ी संख्या में अन्य पिछड़ा के साथ एसटी और एससी वर्ग के युवा भी शामिल हैं। प्रशिक्षण कहां दिया जाएगा, फिलहाल यह तय नहीं हो सका है। संभवत: प्रशिक्षण के लिए प्रदेश के सभी जिलों में स्थित विश्व हिंदू परिषद के कार्यालयों को केंद्र बनाया जाएगा या फिर स्थानीय मठ-मंदिरों को।
धर्म-संस्कृति और हिंदू हित में बड़ा फैसला
केंद्र सरकार की यह योजना धर्म-संस्कृति और हिंदुओं के हित में बड़ा फैसला है। प्रदेशभर से 3200 युवाओं की सूची तैयार कर ली है। सरकार से जैसे ही निर्देश मिलता है, प्रशिक्षण शुरू कर देंगे।
घनश्याम चौधरी, प्रांत सह मंत्री, विश्व हिंदू परिषद