एेसी स्थिति में रेलवे किसी तरह काम चला रहा है। डिवीजन की न तो पैसेंजर गाडि़यों और न ही एक्सप्रेस गाडि़यों के कोच संख्या को बढ़ाया जा सका। ऑफ सीजन हो या फिर पीक सीजन यात्री सुविधा के नाम पर किसी ट्रेन में दो से चार दिन तो किसी में दो फेरे की सुविधा देकर खुद की पीठ थपथपा रहा है।जबकि इन ट्रेनों में हमेशा भीड़ बनी रहती है।
रायपुर डिवीजन के डीआरएम कौशल किशोर ने डिवीजन की सभी ट्रेनों में कोच संख्या बढ़ाने की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है। इसे देखते हुए नए कोच की डिमांड की गई। लेकिन किस रेलवे जोन जोन को कितना रैक देना है, यह रेलवे बोर्ड ही तय करता है।