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रायपुर

वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट के इस लेटर को पढ़कर भड़क उठा सेन्ट्रल जू अथॉरिटी, जानिए क्यों

सेन्ट्रल जू अथॉरिटी ने कानन पेंडारी जू की दुर्दशा की शिकायत को गंभीरता से लिया है। सेन्ट्रल जू अथॉरिटी ने नाराजगी जताते हुए मुख्य वनजीव संरक्षक छत्तीसगढ़ को इन आरोपों पर तत्काल जवाब मांगा है।

रायपुरSep 06, 2018 / 06:51 pm

Ashish Gupta

kanan pendari zoo

कानन पेंडारी जू की दुर्दशा पर सेन्ट्रल जू अथॉरिटी ने जारी किया नोटिस, मांगा जवाब

रायपुर. कानन पेंडारी जू की दुर्दशा की शिकायत को लेकर सेन्ट्रल जू अथॉरिटी भड़क उठा और इसे गंभीरता से लिया है। सेन्ट्रल जू अथॉरिटी ने नाराजगी जताते हुए मुख्य वनजीव संरक्षक छत्तीसगढ़ को इन आरोपों पर तत्काल जवाब मांगा है। दरअसल, वाइल्ड लाइफ ऐक्टिविस्ट अजय दुबे 30-31 अगस्त को कानन पेंडारी जू घूमने आए थे। जानवरों की दुर्दशा देखकर वे विचलित हो गए। वाइल्ड लाइफ ऐक्टिविस्ट अजय ने स्थानीय लोगों से जू की दुर्दशा को लेकर जानकारी इकट्ठा की और ई-मेल भेजकर सेन्ट्रल जू अथॉरिटी को शिकायत दर्ज करवाई।
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क्या लिखा शिकायत में
अजय दुबे ने सेन्ट्रल जू अथॉरिटी को लिखे शिकायत पत्र में जू के बदहाल स्थिति का जिक्र किया है। उन्होंने बताया कि वन्यप्राणियों के संरक्षण के लिए बने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित कानन पेंडारी जू में प्रबंधन की लापरवाही और स्वास्थ्य सेवाओं में असंवेदनशील रवैये के कारण अधिकतर वन्य प्राणियों की सेहत खराब है। बारिश के कारण गंदगी में कई प्राणी खासतौर से हिरण प्रजाति के सदस्य बीमार हैं और पर्याप्त सुविधाओं के अभाव में बेहतर इलाज नहीं हो पा रहा है। वन्य प्राणियों को निमोनिया और अन्य बीमारियों से पीड़ित होने की जानकारी स्थानीय सूत्रों से मिली है।

kanan pendari zoo bilaspur

शिकायत में जू स्टाफ के लापरवाही का जिक्र
अजय ने अथॉरिटी को बताया कि काननू पेंडारी में जू नियमों और वन्यप्राणी अधिनियम का गंभीर उल्लंघन स्पष्ट दिख रहा है। बाड़ों सहित जू में गंदगी का अंबार है। स्टाफ वर्दी पहने नहीं दिखता, स्वयं स्टाफ कर्मियों का स्वास्थ्य परीक्षण नहीं होता, खाद्य सामग्री भी घटिया देने की सूचना मिली, पर्यटकों पर निगरानी की पुख्ता व्यवस्था नहीं है जिससे वन्य प्राणियों के साथ छेड़छाड़ होती है।

अजय दुबे ने लिखा कि इस जू में पूर्व में भी एंथे्रक्स नामक गंभीर बीमारी से पीडि़त कई वन्य प्राणियों की मौत हुई थी और 2014-15 में इसकी शिकायत भी की गई थी, लेकिन आज तक न तो कोई पुख्ता वन्य प्राणी स्वास्थ्य सेवाएं स्थापित हुई और न ही उस वक्त की गंभीर लापरवाही के जिम्मेदारों पर कार्यवाही हुई। अजय दुबे ने उच्च स्तरीय जांच करवाकर दुर्लभ प्रजाति के वन्यप्राणियों की सुरक्षा की मांग की है।
गौरतलब है कि हाल ही में कानन पेंडारी में तीन चैसिंगों की मौत हो चुकी है तथा कई बायसन, चीतल, बारहसिंघा, बार्किंग डीयर, सांभर और नीलगाय निमोनिया से पीडि़त है।

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